लेखक की कलम से

मा कश्चिद दुःख भाग भवेत् …

कोरोना का कहर जारी है। बेड और ऑक्सीजन की जंग भी जारी है। आवश्यक दवाइयों की कालाबाजारी भी जारी है। आरोप प्रत्यारोप भी चल रहे हैं। अव्यवस्था और असहिष्णुता का प्रदर्शन भी खत्म होने का कोई रास्ता नहीं नज़र आ रहा है। जो लोग कोरोना की गिरफ्त में हैं उन्हें सबसे ज्यादा एक ही दवाई की खुराक लेनी है, सकारात्मकता। नजरंदाज कर दीजिए सभी अनावश्यक बातों को। टीवी की खबरों को और लोगों की उपेक्षा भरी नज़रों को।

कोरोना की कोई दवाई अभी तक नहीं है, इस बात को गांठ बांध लीजिए। स्थिति नियंत्रण में है तो अपना इलाज खुद कीजिए। तुलसी, अदरक, मुलेठी और गिलोय को रसोईघर में हमेशा के लिए रख लीजिए। नींबू का सेवन अवश्य कीजिए। भरपूर मात्रा में पानी पीजिए। योग और प्राणायाम नियमित करने की आदत बना लीजिए। यह रक्त संचार बढ़ाने और फेफड़ों की ऑक्सीजन क्षमता बढ़ाने का कारगर तरीका है। सदा जीवन उच्च विचार वाले लोग इस समय संक्रमण से बच जायेंगे या संक्रमित होने पर भी ठीक हो जाएंगे। शराब और दूसरे नशीले पदार्थों का सेवन शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। कोरोना को खत्म करने के लिए उसका खौफ दिमाग से निकलना ज़रूरी है।

कुछ नहीं कर पा रहे हैं तो पांच मिनट के लिए आंखें बंद कर लीजिए और भगवान को याद करके बस इतना ही बोलिए,” हे सर्वशक्तिमान, अब जीवन तेरे हवाले है। यदि तेरी मर्जी है कि मैं जीवित रहूं तो जीने का रास्ता बना दे।” इस प्रयोग के आप चमत्कारी प्रभाव देखेंगे। मन शांत हो जाएगा और वो रास्ता नज़र आ जायेगा जो आप अशांत मन से नहीं देख पा रहे थे। ,” मन चंगा तो कठौती में गंगा।” बिना किसी दवा के आपकी स्थिति में सुधार होगा। यह प्रयोग कोई चमत्कार नहीं है परंतु इसका प्रभाव चमत्कारी है। और आज हमारे पास बचा एकमात्र उपाय भी यही है। जीवन देना और जीवन लेना ऊपर वाले के हाथ में है। इसलिए एक लंबी सांस लीजिए और बस एक ही बात बोलिए।

” सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे संतु निरामया।

सर्वे भद्राणि पश्यंतु मां कश्चीद दुख भाग भवेत्।।

©अर्चना त्यागी, जोधपुर                                                

Back to top button