लेखक की कलम से

आजादी के नायक …

आजादी की अमर कहानी,चलो सुनाऊ क्या है वो
बलिदानों की चिर कथाए,सुनो बताऊ क्या है वो…..

सतत समर्पण करते आये,जन्मभूमि के मण्डन में।
प्राण दिए न्यौछावर सबने,मातृभूमि के वंदन में।।
ललक जगी थी मातृभूमि,को आजादी दिलवानी है।
वीर सपूत सब जाग उठे,माँ की सम्मान बचानी है।।
क्या कोड़े,क्या फाँसी,सब यत्नों को सहते जाना है।
एकबिंदु मनोचित्तवृत्ति से,नौका को पार लगाना है।।
बलिदानों की कोटि कथाएँ,नही संभव गिन पाने में।
देश के कुछ नेता ही जाने,बलिदानों के खजाने में।।
नमन करे बलिदानों को,आजादी है दिलवाए वो……..

नेता जी ने बल पर अपने,हिन्द-फौज को खड़ा किया।
क्रांति की ज्वाला को उसने,पाल-पोष कर बड़ा किया।।
नेता जी के नेतृ गुणों ने,गोरो को लोहा मनवाया था।
हिटलर जैसे तानाशाही से,नेता कहकर बुलवाया था।।
नरमपंथी के नरम नीति को,सिरे से अस्वीकार किया।
आजादी के लक्ष्यों पर केवल,मातृभूमि से प्यार किया।।
तुम खून दियो आजादी दूंगा,नेता जी ने चिल्लाया था।
दिल्ली चलो का नारा देकर,दिल्ली भी बुलवाया था।।
सतत प्रयत्नों के बूते पर,जय-हिंद बुलवाए है वो……..

तिलककाल में राष्ट्रवाद की,ज्वालायें प्रस्फुटित हुए।
खुदीराम,चाकी,सावरकर,जैसे योद्धा अवतरित हुए।।
जन्मसिद्ध अधिकार मान,स्वराज्य भाव को बड़ा किया।
होमरूल जैसे प्रकल्प को,तिलक-बिसेन्ट ने खड़ा किया।।
मराठा-केसरी के गुंजो से,सत्ता को भीतरघात किया।
लाल-बाल की तिकड़ी से,खतरा गोरो ने भांप लिया।।
गणपति-उत्सव,शिवा-जयंती,प्रारम्भ जिसने करवाया था।
जय शिवाजी,गणपति बप्पा,नारा जिसने लगवाया था।।
वीरप्रतापी तिलक महोदय,वंदे मातरम कहवाये वो……..

राजगुरु,सुखदेव,भगतसिंह,फंदों पर हँसते झूल गए।
मातृभूमि की रक्षा खातिर,घर-परिवार को भूल गए।।
सहज उम्र,समकक्षी अपने,प्राण दिए बलिदानी वो।
गोरी-नीति से खूब लड़े,पर हार न माने अभिमानी वो।।
आजाद गए आजाद हुए हम,कैसे भूलेंगे कहानी वो।
समरांगण पर सदैव स्वतंत्र,स्वतंत्र गए अभिमानी वो।।
मूँछे ताने गुर्राते,हम शेर भवानी के है वो…….

Back to top button