लेखक की कलम से

गीता पुराण कहे, बनेंगे निरोग …

कुशल कर्मठ लोग, करेंगे योग,

गीता-पुराण कहे, बनेंगे निरोग!

 

नित्य योगासन कर, महापुरुष बने,

त्याग-तपस्या कर, जगतगुरु सधे!

ईश मन लगाए, ना करें विरोध,

भाव हृदय बहाएं, ना करें प्रतिरोध!

कुशल कर्मठ लोग, करेंगे योग,

गीता-पुराण कहे, बनेंगे निरोग!

 

सुकर्म, ध्यान, समर्पण भक्ति,

योगासन अभ्यास की शक्ति!

गतिविधि नियंत्रण में सहायक,

ध्यान, साधना जीवन का पर्याय!

कुशल कर्मठ लोग, करेंगे योग,

गीता पुराण कहे, बनेंगे निरोग!

 

सभी सहकर्मी, हॄय में संतोष ,

सशक्त हस्त, अंतस में परितोष!

साधक भव मनु, सब संभव होई,

मन बांधे नव सूर्य चंद्र सब कोई!

कुशल कर्मठ लोग, करेंगे योग,

गीता पुराण कहे, बनेंगे निरोग!

 

प्राणायाम से कर , भाग्योदय,

ध्यानस्थ से प्राप्त कर, जीवोदय!

योग से मिले, उत्तम समत्व बोध,

शोध कर मिले, वैश्विक अवबोध!

कुशल कर्मठ लोग, करेंगे योग,

गीता पुराण कहे , बनेंगे निरोग!

 

©अल्पना सिंह, शिक्षिका, कोलकाता                           

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