लेखक की कलम से

कोरोना काल में असली योद्धा …

भाग-2

कहानी (#अनोखा_लंगर)

सरदार भाईयों द्वारा भूखों को लंगर कराया जाता है, जहां कोई भी, किसी भी धर्म का आकर भरपेट भोजन कर सकता है, सच में इससे अच्छी मानवता की सेवा और क्या हो सकती है।

आज कोरोना समय में भी सरदार भाईयों ने एक ऐसा ही अनोखा लंगर चलाया है, क्योंकि आज कोरोना का कहर इतना बढ़ गया है कि लोग आक्सीजन की कमी से अपनी जान से जा रहे हैं … अस्पतालों में भी आक्सीजन की व्यवस्था नहीं है। हर जगह मारा मारी है।

ऐसे में सिख समुदाय के बड़े बुजुर्ग आपस में चर्चा करते हैं कि हम इतने समय से भूखों के लिए लंगर चला रहे हैं, वाहे गुरु जी दी कि मैहर से आज तक कोई कमी नहीं आई है। आज इंसान भूख से ज्यादा ऑक्सीजन की कमी से अपनी जान खो रहा है, तो क्यूं ना इंसानियत के वास्ते आक्सीजन के लंगर दी सेवा करी जाये जी, कहिए आप सभी मेरी गल नाल सहमत तो हो जी..कहकर कृपाल सिंह जी चुप हो गये ….

तभी गुरुचरण पूछता है दार जी आप कह तो बहुत बदिया रहे हो जी, बड़ा ही नेक विचार है जी ….लेकिन किस तरह नूं व्यवस्था बनेगी जी, कौन नाल काम करवा पावेगें जी और पैसे की व्यवस्था भी तो देखनी होगी जी, जरा आप इन सब बातों पर भी तो सोच्यो जरा ….

अरे धीरज रखो जी पुत्तर जी, अच्छे और सच्चे काम दे वास्ते सिर्फ नेक शुरुआत दी जरुरत होती है, अब आप ही देखयो तो पुत्तर जी आज तक वाहे गुरु जी ने हमारे लंगर में कोई खाने की कमी आने दी है क्या ?

अच्छी भावना से किए काम में रव भी मदद करता है। इंसान तो बस उसके हाथ की पुतली मात्र है जी ….विशनसिंह जी समझाते हैं और सभी उनकी बात से सहमत हो आक्सीजन का लंगर जगह जगह शुरू कर इंसानियत और मानवता की अनूठी मिसाल पेश करके ना जाने कितने घर बिखरने से बचा लेते हैं।

जहां आज क‌ई लोग इसकी कालाबाजारी कर रहे हैं, जमाखोरी कर रहे हैं, वहीं अपने सरदार भाई एक #अनोखा_ लंगर (आक्सीजन का लंगर) चला कर मानवता की सेवा कर रहे हैं। सलाम है ऐसे कोरोना योद्धाओं को।

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश                               

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