मध्य प्रदेश

परंपरा: महाकाल को गर्मी में शीतलता पहुंचाएगा 11 पवित्र नदियों से लाया गया जल

वैशाख कृष्ण प्रतिपदा सात अप्रैल से बांधी जाएंगी ठंडे पानी की गलंतिका (मटकियां)

उज्जैन। गर्मी से राहत पाने के लिए हर कोई तरह-तरह के उपाय करता है। दरअसल, अप्रैल का महीना अभी शुरू हुआ है और गर्मी धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ती नजर आ रही है। ऐसे में बाबा महाकाल को भी गर्मी से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किये जा रहे हैं। परंपरानुसार बाबा महाकाल को वैशाख एवं ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी से राहत पहुंचाने के लिए उनके ऊपर ठंडे जल की धारा अविरल प्रवाहित की जाएगी। उन्हें गर्मी नहीं लगे इसके लिए वैशाख कृष्ण प्रतिपदा सात अप्रैल 2023 शुक्रवार से मंदिर के पंडित और पुजारी मिलकर ठंडे पानी की गलंतिका यानी मटकियां शिवलिंग के ऊपर बांधी जाएंगी। इसमें से लगातार पानी शिवलिंग पर आता रहेगा। शिवलिंग के ऊपर जो मटकियां लगाई जाएंगी, उसमें देश की 11 पवित्र नदियों से लाया गया जल भरा जाएगा।

मान्यता है कि भगवान महाकालेश्वर को वैशाख एवं ज्येष्ठ मास की तपती गर्मी से बचाने के लिए पुजारी-पुरोहित हर साल शिवलिंग के ऊपर 11 गलंतिका (मटकी) बांधते हैं। इन मटकियों से सुबह भस्मआरती से लेकर संध्या पूजन से पहले तक भगवान महाकाल पर ठंडे जल की धारा प्रवाहित की जाती है। ये क्रम दो महीनों तक चलता रहता है। महाकालेश्वर कैलाश निवासी हैं। ऐसे में गर्मी में शीतलता पहुंचाने के लिए गर्मी के मौसम में दो माह भक्त इस तरह का जतन करते हैं। इसी प्रकार तेज ठंड में भगवान को गर्मजल से स्नान कराने की परंपरा निभाई जाती है। चांदी के कलश की जलधारा के अलावा मिट्टी की 11 मटकियों से भी जलधाराएं प्रवाहित की जाती है।

मटकियों पर लिखा जाता है उस नदी का नाम, जहां का जल उसमें भरा होता है

इन मटकियों पर गंगा, यमुना, गोदावरी, नर्मदा सहित अन्य पवित्र नदियों के नाम भी लिखे जाते हैं, जहां से जल लाया गया है। मान्यता है कि भगवान महाकाल इससे तृप्त होकर राष्ट्र और प्रजा के कल्याण के लिए सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।

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