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पराली जलाने पर रोक का बिलासपुर में ऐसे हो रहा पालन; तस्वीर में देखें- पैरे की राख से खेत हो रहे काले …

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के प्रदूषण निवारण मंडल ने खेतों में पराली जलाने पर रोक लगा रखी है, खुद सीएम सार्वजनिक तौर पर कई बार खेतों में पराली नहीं जलाने का आग्रह कर चुके हैं। लेकिन तस्वीर इसकी ठीक उलट है। छत्तीसगढ़में इस बार 2 लाख 22 हजार हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन धान लगाया गया था। इसके कटने के बाद जिन किसानों को पशुधन के लिए जरूरत है, वे पैरा ले गए लेकिन जिन्हें जरूरत नहीं है, ऐसे अधिकांश किसानों ने पैरा खेत में ही जला दिया है। यह सिलसिला जारी है, क्योंकि गर्मी का धान लगाने वाले अधिकांश किसान खरीफ फसलों के लिए पराली जलाने को जरूरी मानते हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक एक टन पराली जलाने से 5.5 किलो नाइट्रोजन, 2.3 किलो फॉस्फोरस, 25 किलो पोटेशियम और 1 किलो से अधिक सल्फर जैसे पोषक तत्वों की हानि होती है। यही नहीं, घातक गैसें भी निकलती है जिनसे पर्यावरण को नुकसान है।

“पराली हटाने में लेबर खर्च लगता है। ठूंठ उखाड़ना भी कठिन है, इसलिए झंझट से बचने के लिए इसे जलाया जा रहा है।”

-पीडी हथेश्वर, कृषि उप संचालक, बिलासपुर

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