मध्य प्रदेश

पदोन्नति में आरक्षण देने विधेयक लाने की तैयारी में मध्यम प्रदेश सरकार, 13 सितंबर से शुरू होने जा रहे विधानसभा के सत्र में पेश किया जा सकता है विधेयक ….

भोपाल। मध्यप्रदेश में कर्मचारियों की पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और सेवानिवृत्ति से पहले भी पदोन्नति न मिल पाने के कारण कर्मचारी राज्य सरकार से नाराज हैं। यह नाराजगी अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार को भारी न पड़े, इसलिए पदोन्नति में आरक्षण नियम-2022 लागू करने की तैयारी चल रही है। इसके लिए सरकार विधानसभा के 13 सितंबर से शुरू होने वाले सत्र में विधेयक ला सकती है। मध्य प्रदेश में बीते सवा छह साल से अधिकारियों और कर्मचारियों की पदोन्न्ति पर रोक लगी है।

ज्ञात हो कि पदोन्नति में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में पदोन्नति में आरक्षण देने के नए नियम बनाने और उन्हें लागू करने की कोशिश को लेकर कर्मचारियों में सरकार के प्रति काफी नाराजगी है। इन नियमों से अनारक्षित वर्ग भी संतुष्ट नहीं है। सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (स्पीक) के अध्यक्ष केएस तोमर के अनुसार हमारे सुझावों पर ध्यान दिए बगैर सरकार द्वारा एकतरफा नियम बनाए गए हैं। सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए ‘मध्य प्रदेश लोक सेवा (पदोन्नति) नियम-2022″ तैयार किया है। इनसे सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को दोहरा नुकसान होगा। अगर इसे लागू किया गया, तो हम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। इधर, सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले आरक्षित वर्ग को लुभाने के लिए विधेयक लाकर नए नियम लागू करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। विधानसभा में विधेयक पारित होने के बाद नियमों को कानूनी मान्यता मिल जाएगी। इसके बाद सरकार को दूसरे पक्ष के कोर्ट जाने का भी डर नहीं रहेगा। ज्ञात हो कि पदोन्नति पर रोक होने से सवा छह साल में 70 हजार से ज्यादा कर्मचारी बिना इसका लाभ पाए सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

ये है पदोन्नति का नया प्रारूप

  1. –   इन नियमों में आरक्षित वर्ग के पद उपलब्ध न होने पर एससी, एसटी और अनारक्षित वर्ग को मिलाकर संयुक्त सूची बनाने एवं उसमें से पदोन्नति देने का प्रावधान किया गया है।
  2. –   संयुक्त सूची से एससी और फिर एसटी वर्ग के कर्मचारियों को पहले पदोन्नति दी जाएगी।
  3. –   यदि किसी आरक्षित वर्ग के पद पहले से भरे हैं तो सभी रिक्त पदों को शामिल करते हुए संयुक्त चयन सूची में शामिल कर्मचारियों के नाम योग्यता के क्रम में रखे जाएंगे।
  4. –   आरक्षित वर्ग के लिए पर्याप्त कर्मचारी उपलब्ध न होने पर पद तब तक रिक्त रखे जाएंगे, जब तक संबंधित वर्ग का कर्मचारी न मिल जाए।
  5. –   इसमें रोस्टर व्यवस्था रहेगी और प्रविधान के अनुरूप आरक्षण तय रहेगा।
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