मध्य प्रदेश

एमपी राज्य सूचना आयुक्त का बड़ा फैसला: शासन से अनुदान लेने वाले निजी स्कूल पूरी तरह आरटीआई के अधीन

निजी स्कूल की जानकारी को गलत ढंग से रोकने पर शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों पर लगाया 20 हजार का जुर्माना

भोपाल। मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने एक अहम निर्णय में सभी प्राइवेट स्कूल की मान्यता संबंधित जानकारी को आरटीआई अधिनियम के अधीन करार दिया है। साथ ही सिंह ने आदेश जारी कर ये स्पष्ट किया की शासन से अनुदान या रियायती दर पर जमीन लेने वाले स्कूलों पर आरटीआई अधिनियम पूरी तरह से लागू होगा। वही प्राइवेट स्कूल की जानकारी को गलत ढंग से रोकने पर शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों पर सिंह ने 20 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने स्पष्ट किया कि प्राइवेट स्कूल की जानकारी आम जनता की पहुंच में आने से अवैध तरीके से चल रहे प्राइवेट स्कूलों पर अंकुश लगेगा और शिक्षा विभाग के अधिकारियों की जवाबदेही भी तय होगी। उनका कहना है कि आम नागरिकों और अभिभावकों को यह जानने का हक है, कि उनके बच्चे जिस प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे हैं, वे शासन द्वारा निर्धारित कानून के तहत संचालित हो रहे हैं, या नहीं।

शासन-प्रशासन में उपलब्ध प्राइवेट स्कूलों के मान्यता संबंधी दस्तावेजों की पारदर्शिता के मापदंड के अनुरूप आम आदमी को उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि प्राइवेट स्कूल को संचालित करने वाली प्रशासनिक व्यवस्था में कसावट सुनिश्चित हो सके। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने अपने आदेश में प्राइवेट स्कूलों को लेकर शिक्षा विभाग की भूमिका को रेगुलेटरी अथॉरिटी के रूप करार देते हुए कहा कि शिक्षा विभाग प्राइवेट स्कूल के तीसरे पक्ष होने के आधार पर जानकारी को रोक नहीं सकते हैं। कोई भी आम आदमी अगर आरटीआई दायर करके निजी स्कूलों की मान्यता संबंधी जानकारी मांगता है, तो शिक्षा विभाग के लोक सूचना अधिकारियों को धारा 7 (1) के तहत 30 दिन के अंदर आरटीआई आवेदक को की जानकारी उपलब्ध करानी चाहिए।

जानकारी के अनुसार रीवा के एक आरटीआई आवेदक ने जानकारी वहा एक निजी स्कूल की मान्यता संबंधी जानकारी मांगी थी, जिसे जिला शिक्षा अधिकारी ने कार्रवाई के लिए  विकास खंड शिक्षा अधिकारी के पास भेज दिया। पर विकास खंड अधिकारी ने यह कहते हुए जानकारी उपलब्ध नहीं कराई की निजी स्कूल ने आरटीआई अधिनियम के अधीन ना होने से जानकारी देने से मना कर दिया है। बाद में प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा जानकारी देने के आदेश जारी किए तो जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने स्तर पर से जानकारी उपलब्ध आधी अधूरी जानकारी उपलब्ध कराई। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने सुनवाई के बाद जानकारी को उपलब्ध न कराने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी रीवा  केपी तिवारी और विकास खंड प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी नीरज नयन तिवारी  प्रत्येक पर 10-10 हजार का जुर्माना लगा दिया।

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