नई दिल्ली

चीन में अब तक मिले सिर्फ दो ओमिक्रॉन के मरीज; 67 साल का संक्रमित नवंबर में विदेश से लौटा था …

नई दिल्ली । चीन के गुआंगझाउ प्रांत में ओमिक्रॉन का अब तक सिर्फ दूसरा केस मिला है। इससे पहले चीन में ओमिक्रॉन के एक केस मिलने की पुष्टि की जा चुकी है। चीनी मीडिया के मुताबिक, संक्रमित शख्स की उम्र 67 साल है, जो नवंबर में विदेश से लौटा था। यह शख्स पिछले हफ्ते क्वारैंटाइन में रहने के बाद गुआंगझाउ प्रांत पहुंचा। यहां हुए कोविड टेस्ट में वह पॉजिटिव पाया गया। चीन में ओमिक्रॉन का पहला केस उत्तरी तियानजिन शहर में मिला था। यह संक्रमित भी विदेश से लौटा था।

सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने 6 महीने में देश में बच्चों के लिए नोवावैक्स कोविड वैक्सीन लॉन्च करने की योजना बनाई है। SII के CEO अदर पूनावाला ने मंगलवार को कहा कि ने 3 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों पर नोवावैक्स वैक्सीन का ट्रॉयल हुआ। इस ट्रायल में अच्छे नतीजे सामने आए हैं। अदार ने यह बात कांफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री की वर्चुअल कांफ्रेंस के दौरान कही।

दिल्ली में आज ओमिक्रॉन के 4 नए मामले मिले हैं, जबकि पहला ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज ठीक होकर घर चला गया है। इसके साथ ही यहां ओमिक्रॉन के 5 मामले हाे गए हैं। देश में ओमिक्रॉन मामलों की कुल संख्या 44 हो गई है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि ओमिक्रॉन के सारे मामले विदेश से आए लोगों में पाए गए हैं, सभी मामले स्टेबल हैं। स्थिति नियंत्रण में है।

राजस्थान में सोमवार को ओमिक्रॉन के 8 नए मामले मिले थे। इसके साथ यहां कुल मामले 17 हो गए हैं। महाराष्ट्र में कल दो नए केस मिले। इसके साथ यहां कुल मामलों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है। वहीं, गुजरात के सूरत में 1 ओमिक्रॉन केस की पुष्टि हुई है। संक्रमित हाल ही में साउथ अफ्रीका से लौटा है। इसके साथ ही देश भर में ओमिक्रॉन वैरिएंट के कुल केस अब 53 पर पहुंच गए हैं।

भारत के मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि दुनियाभर में जो तस्वीर सामने आ रही है उसके मुताबिक, ओमिक्रॉन हल्का इंफेक्शन ही फैला रहा है। इसके बावजूद साइंटिफिक एडवाइजरी ग्रुप ऐसे लोगों को वैक्सीन का तीसरा या बूस्टर डोज देने के बारे में चर्चा कर रहा है, जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या जो हाई रिस्क पर हैं।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के एपिडेमोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिसीज के हेड समीरन पांडा ने बताया कि तीसरा डोज भी ओमिक्रॉन के संक्रमण को नहीं रोक सकता है। ये वैक्सीन इंफेक्शन को रोकती नहीं हैं, ये सिर्फ इंफेक्शन की गंभीरता को कम करती है। ऐसे में अगर लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित होंगे भी तो उन्हें हल्की बीमारी ही होगी। ऐसे में इस बात में कोई वजन नहीं है कि वैक्सीन के कम प्रभावी होने के कारण कोरोना संक्रमण होता है।

 

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