लेखक की कलम से
नयी शुरुआत ….
कुछ कविताएँ
कभी पूरी नहीं होतीं,
नहीं हो पाता तालमेल
शब्दों और भावनाओं में,
ठीक वैसे
जैसे कुछ रिश्तों में
हमेशा रहता है
अधूरापन
क्यूँकि नहीं जुड़ पाते
दिलों के तार,
और कुछ ख़्वाब
नहीं कर पाते सामंजस्य
वास्तविकता से,
ज़बरन कोशिशें
कर देती हैं उन्हें
अर्थहीन और
दिशाविहीन,
बेहतर है
उन्हें वहीं छोड़
की जाए नयी शुरुआत
और बनाया जाए
एक नया रिश्ता
देखा जाए
एक नया सपना
गढ़ी जाए
एक नयी कविता!
©स्वीटी सिंघल, बैंगलोर, कर्नाटक