नई दिल्ली

मुंबई के लापता पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने मांगी सुरक्षा, सुप्रीम कोर्ट बोला- जब तक हम यह नहीं जान लेते हैं कि आप कहां हो, तब तक सुरक्षा नहीं दें पाएंगे ….

नई दिल्ली। भूमिगत चल रहे मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने सुरक्षा की गुहार लगाई है। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने उनसे उनका ठिकाना पूछा है। कोर्ट ने कहा कि, जब तक हम यह नहीं जान लेते हैं कि आप कहां हो, तब तक सुरक्षा नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के फरार पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को अपने ठिकाने का खुलासा करने के लिए कहा है। साथ ही यह भी कहा कि वह गिरफ्तारी से सुरक्षा के लिए सिंह की याचिका पर तभी सुनवाई करेगा जब वह यह नहीं बताएंगे कि वह देश या दुनिया के किस हिस्से में हैं।

आपको बता दें कि परम बीर सिंह बीत कुछ समय से अंडरग्राउंड हैं। उनका पता ना तो पुलिस के पास है और ना ही कोर्ट के पास और ना ही जांच कर रही एजेंसियों के पास।

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह से अपने स्थान का खुलासा करने के लिए कहा और कहा, “कोई सुरक्षा नहीं, कोई सुनवाई नहीं जब तक हम नहीं जानते कि आप कहां हैं”। शीर्ष अदालत ने उनके वकील को सिंह के ठिकाने के बारे में सूचित करने के लिए कहा और मामले की सुनवाई 22 नवंबर की तारीख तय की।

न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात पर आपत्ति जताई कि सुरक्षा की मांग करने वाली उनकी याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए दायर की गई है। कोर्ट ने कहा, “आप सुरक्षात्मक आदेश मांग रहे हैं। कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं। मान लीजिए कि आप विदेश में बैठे हैं और पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से कानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होगा। अगर ऐसा है तो यदि अदालत आपके पक्ष में फैसला करती है, तो आप भारत आएंगे। हम नहीं पता कि आपके मन में क्या चल रहा है।”

अदालत ने आगे कहा, “याचिका पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से दायर की गई है। आप कहां हैं? आप इस देश में हैं या बाहर हैं? हम बाकी बातों पर आएंगे, लेकिन पहले हम यह जानना चाहते हैं कि आप कहां हैं?”

बॉम्बे में एक मजिस्ट्रेट की अदालत ने बुधवार को परम बीर सिंह और शहर के कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज जबरन वसूली के मामले में सिंह को “घोषित अपराधी” घोषित किया। उन्हें आखिरी बार इस साल मई में अपने कार्यालय में देखा गया था, जिसके बाद वह छुट्टी पर चले गए थे। राज्य की पुलिस ने पिछले महीने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि उनके ठिकाने का पता नहीं है।

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