लेखक की कलम से

प्रभु कुछ दान करते हैं…

“प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

जो तुमने दिया वो मेरा है।

जो मेरा है वो किसी और के नाम करते हैं।

 

प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

जो गम हैं वो सब मेरे हैं,

कुछ खुशियां किसी के नाम करते हैं।

प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

 

मन में इच्छाओं को कम करके

धन जरूरतमंदों के नाम करते हैं।

जरूरत अपनी घटा के हम,

तन सेवा किसी के नाम करते हैं।

प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

 

आँसू  हैं, वो मेरे अपने है।

कुछ खुशियां किसी के चेहरे पर रखते हैं।

ख्वाहिशें अपनी कम करके,

आरज़ू औरों की पूरा करते हैं।

प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

 

अपनी लापरवाही को देते हैं सज़ा।

औरों की गलतियों को नजरंदाज करते हैं।

संघर्ष खुद का चलता रहे,

सफलता किसी और के नाम करते हैं।

प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

 

हो उदास मेरा मन तो क्या?

चंचलता किसी के मन में भरते हैं।

बैचैन रहे जो दिल ये मेरा,

सुकून किसी और के दिल में रखते हैं।

प्रभु आज कुछ दान करते हैं।

 

नाराज रहूँ चाहे मैं खुद से,

मुस्कान चेहरों पे धरते है,

जरूरत हैं वो मेरे हैं।

कुछ वक्त किसी और के नाम करते हैं।

प्रभु आज कुछ दान करते हैं

प्रभु तुम से विनती करते हैं।।”

-अम्बिका झा

Back to top button