नई दिल्ली

छूट गया गुब्बारा मेरे हाथों से जाने अब वो किस मंजिल तक जाएगा

नई दिल्ली 7 जून।

वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच के संस्थापक अति सम्मानित और वरिष्ठ साहित्यकार श्री नरेश ‘नाज़’ जी के मार्गदर्शन में हरियाणा इकाई की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन दिनांक 5/6/2021,शनिवार को गुरुग्राम इकाई द्वारा किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती वीणा अग्रवाल (राष्ट्रीयसंरक्षक ,वरि.ना.का.मंच)द्वारा की गई । मुख्य अतिथि के पद पर श्री मती जया आर्य जी (प्रदेशाध्यक्ष,मध्य प्रदेश इकाई,वरिष्ठ ना.का.मंच) ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति से मंच को गरिमा प्रदान की। गोष्ठी की संयोजिका सुश्री सविता स्याल जी (उपाध्यक्ष,वरिष्ठ ना.का.मं.,हरियाणा इकाई) ने अतिथि वृंद और सभी सम्मानित साहित्यकारों का स्वागत करते हुए अपने भाव पुष्प समर्पित किए।कार्यक्रम का सुन्दर व सहज संचालन श्रीमती शकुंतला मित्तल (महासचिव,हरियाणा प्रांत वरि.ना.का.मंच) ने किया । कार्यक्रम का शुभारंभ वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इन्दु “राज” निगम जी की सुमधुर आवाज़ में प्रस्तुत माँ शारदे की वंदना से हुआ। आज की गोष्ठी को अविस्मरणीय गोष्ठी बनाया इन दिग्गज कवि व कवयित्रियों की सुंदर, मनभावन पंक्तियों व ओजस्वी आवाज ने।

छूट गया गुब्बारा मेरे हाथों से
जाने अब वो किस मन्ज़िल तक जाएगा
जाने किन-किन राहों पर वो भटकेगा
जाने कब वो मुझ तक वापस आएगा
( श्री राजेन्द्र निगम “राज”,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष,वरिष्ठ ना.का.मंच)

मेरे आँसू पी लेती हो चुपके- चुपके आकर माँ
मुझको आस बंधा देती हो चुपके – चुपके आ कर माँ
(सुश्री इन्दु “ राज” निगम )

भावनाओं से अरमानों से , पीडा से , बिखरते जज़्बातों से , दिन दिन भारी होती गठरी ।
(डाॅ स्मिता मिश्रा)

सुनहरे बालों वाली लड़की
चमकीली आंखों वाली लड़की
गुलाबी गालों वाली लड़की
गुलाबी गुलाब देती है(डाॅ. शुभतनेजा जीअध्यक्ष,वरिष्ठ ना.का.मंच,हरियाणा इकाई)

सिर जुनूँ की लिए आग,अंगार चल,
हौंसले से बढ़े कदम दो चार चल।
जीतना है मुसाफ़िर यहाँ दिल हमें,
तोड़ जंजीर कुछ शर्म को हार चल।
(सुश्री मीना चौधरी)

क्या चमक, क्या चढ़ाव, क्या निखार, क्या जलवे
दिन तो बस दिन है, शाम आएगी- ढल जाएगा
वक्त में थोड़ी नमी डाल दो रिश्तों की सुजीत
वरना यह रेत है, हाथों से फिसल जाएगा
(श्री सुजीत कुमार)

कोरोना के काल में जो ना देखा वो देखा है !
लाशों पे लाशे देखी मृत्यु का तांडव देखा है !!
( सुश्री सुशीला यादव )

अपनी आंखों से देखे हुए ख्वाबों को भुलाऊं कैसे
इतने जालिम जमाने से इन्हें बचाऊं कैसे।।
(सुश्री रश्मि चिकारा)

वो जो उलझ गई है ,जटाओं में ,
वो गंगा फिर जीवन प्रवाह लाएगी । ( सुश्री परिणीता सिन्हा)

मन्जिल तो अन्त है
मज़ा सफ़र का है और सफ़र का मज़ा अनन्त है
मुझे मन्जिल नहीं सफ़र की तलाश है
(श्री मदन साहनी जी,महासचिव,सुरूचि साहित्य कला परिवार)

फिर उन्हीं दिनों का इंतजार है मुझे
ए जिंदगी तुझ पर ऐतबार है मुझे
(सुश्री वीणा अग्रवाल,राष्ट्रीय संरक्षक)

खुद की खुद से जो हो मुलाकात तो अच्छा है
कुछ उलझे हैं मेरे दिल के हालात पर सब अच्छा है ll
( सुश्री अंजू सिंह)

हज़ार ख्वाहिशें मारकर सांसें उधार पाता है।
जिंदगी की दौड़ में हर बार वो हार जाता है।।
(सुश्री दीपशिखा श्रीवास्तव’दीप’)

अंधेरी रात में जुगनू जो अक्सर टिमटिमाते हैं।
वो अपनी रोशनी से ही दीये सारे जलाते हैं।।
(सुश्री मोनिका शर्मा)

फूलों के रंगो में रस भर कर
तुमने सब अमृत कर डाला ।
दुनिया के कण कण में कैसे
अपना जादू बिखरा डाला ।
( सुश्री प्रीति मिश्रा)

ए वक्त जरा थम जा वे आ जाएं तो चले जाना,
ऐ वक्त चांद मुस्कुरा रहा है वे आ जाएं तो चले जाना।
(सुश्री जया आर्य प्रदेशाध्यक्ष, मध्य प्रदेश इकाई,वरिष्ठ ना.का.मंच)

“देखो, हरियाली, बादल की
दुल्हनियां
मुस्कुराती खड़ी ओढ़े
हरी चुनरिया
(सुश्री सविता स्याल )

तन की कमजोर नौका
मन की पतवार से
संभल नहीं पाती है।
हिचकोले खाती
जीवन मोती पाने से
वंचित रह जाती है।
( सुश्री शकुंतला मित्तल)

मुख्य अतिथि श्रीमती जया आर्य जी और अध्यक्षा श्रीमती वीणा अग्रवाल जी ने गोष्ठी के सफल आयोजन के लिए सभी को बधाई दी, सभी रचनाओं को सराहा, जिससे सभी उपस्थित वरिष्ठ जनों का हौसला बुलंद हुआ।

अंत में डॉ० शुभ तनेजा जी(अध्यक्षा,वरिष्ठ ना.का.मंच, हरियाणा इकाई) ने सभी रचनाकारों का उनकी उपस्थिति दर्ज़ कराने व गोष्ठी को सफल बनाने के लिए आभार प्रकट करते हुए कहा कि जैसे श्री राम के आगमन पर प्रेम से आह्लादित शबरी धन्य हो गई थी वैसे ही हम आपके आने से और आप सबकी सुंदर रसमय मोहक प्रस्तुति से धन्य हो गए।

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