लेखक की कलम से
जय जग जननी ….


आश्विन शुक्ल प्रतिपदा, शुभ घड़ी मन को भायी !
लाल चुनरिया ओढ़ कर, मां घर आंगन आयी !!
चहुं दिशाएं गूंज रही, तेरी जय जयकार !
दिव्य रूप सजा तेरा , शोभ रहा श्रृंगार !!
राग, द्वेष, अभिमान का, हर लो सभी विकार !
हे अम्बे, जग तारिणी, कर दो नैया पार !!
महा व्याधि फैली जग में, मातु करो उद्धार !
सकल विश्व की प्रार्थना, कर लो तुम स्वीकार !!
बिना अनुग्रह मां तेरे, बालक हुए अनाथ !
तेरा ही बस आसरा, रख दो सर पर हाथ !!
पूर्ण करेंगी कामना, जय जग जननी मात !
जय माता दी बोल तू, भक्ति भाव के साथ !!
©रेणु बाजपेयी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़