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आईआईटी बीएचयू में खुलेगा इसरो का रीजनल स्पेस सेंटर, इन राज्यों में अंतरिक्ष अनुसंधान पर होगा अध्ययन और शोध …

वाराणसी । आईआईटी बीएचयू में भी अंतरिक्ष अनुसंधान पर भी अध्ययन और शोध हो सकेगा। इसके लिए इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) आईआईटी बीएचयू में अपना रीजनल एकेडमिक सेंटर फार स्पेस (आरएसी-एस) की स्थापना करेगा। सेंटर बनाने पर आईआईटी व इसरो के बीच बुधवार को समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुआ। आनलाइन कार्यक्रम के तहत संस्थान की तरफ से निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन और इसरो की तरफ से सीबीपीओ निदेशक डा. पी वी वेंकटकृष्णन ने इस समझौते पर मुहर लगाई।

इस समझौता के बाद संस्थान में बीटेक और एमटेक छात्रों के लिए शार्ट टर्म और एक वर्षीय प्रोजेक्ट भी शामिल किये जाएंगे। पीएचडी छात्रों को लांग टर्म आरएंडडी प्रोजेक्ट्स में वरीयता दी जाएगी। साथ ही अन्य कार्यक्रम जैसे सम्मेलन, प्रदर्शनी और लघु पाठ्यक्रम भी क्षेत्र में ज्ञान का आधार बनाने के लिए आयोजित किए जाएंगे।

निदेशक प्रोफेसर जैन ने बताया कि इसरो का यह रीजनल एकेडमिक सेंटर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रमुख फैसिलिटेटर के रूप में कार्य करेगा। आईआईटी बीएचयू इसरो के लिए एंबेसडर के तौर पर कार्य करेगा। इसके तहत क्षमता निर्माण, जागरूकता सृजन और शोध व अनुसंधान गतिविधियों के लिए विशेषज्ञों के अनुभवों का उपयोग किया जाएगा।

आरएसी-एस के अनुसंधान और विकास गतिविधियों में शामिल होने के लिए उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उत्कृष्टता के अन्य संस्थानों को भी शामिल किया जाएगा। इसमें आईआईटी नेतृत्वकर्ता और प्रोजेक्ट मानीटर की भूमिका में होगा।

वहीं आरएसी-एस के प्रतिदिन गतिविधियों और समग्र प्रबंधन की जिम्मेदारी भी निभाएगा। प्रोफेसर जैन ने बताया कि इससे स्पेस साइंस और स्पेस टेक्नोलाजी के क्षेत्र में ही शोध नहीं बढ़ेगा, बल्कि उसके अंतर्गत होने वाले शोधों से कृषि, दूरसंचार, मौसम विज्ञान, जल संसाधन आदि क्षेत्रों में पूर्वांचल और मध्य भारत को काफी लाभ होगा। इस दौरान इसरो के साइंटिफिक सेक्रेटरी आर उमा महेश्वरन भी मौजूद रहे।

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