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विदेशियों सहित देश के युवाओं में बढ़ रही है गांधीगिरी …

भागलपुर (प्रसून लतांत) । भागलपुर में महात्मा गांधी जी की स्मृतियों को सहेजने के साथ विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए गांधीवादी परंपराओं का विकास हो रहा है। यहां होने वाली गतिविधियां अब देश विदेश के गांधी प्रेमियों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर रही हैं। हाल ही में महात्मा गांधीजी के स्त्री संबंधी विचारों पर केंद्रित प्रसिद्ध गांधीवादी लेखिका और वरिष्ठ समाज कर्मी सुजाता चौधरी की कथा पर बनी एक फिल्म बापू और स्त्री के कारण भागलपुर का योगदान चर्चा में है, क्योंकि गांधी पर बनी ज्यादा फिल्में उनके व्यक्तित्व या उनके सत्य और अहिंसा के विचारों पर ही बनी हैं उनके स्त्री संबंधी विचारों पर यह पहली फिल्म है, जो महिलाओं को जागरूक करने में कारगर भूमिका निभाएगी। उसके अलावा भागलपुर के कैसर एन के जानी भी हैं, जो गांधीजी की भूमिका विभिन्न फिल्मों में निभाते आ रहे हैं। जानी का कहना है कि वे अब तक 40 से अधिक फिल्मों में गांधी की भूमिका निभा चुके हैं।

भागलपुर में गांधी केंद्रित संस्थाओं और संगठनों की बढ़ती गतिविधियों के कारण गांधी विचार में रुचि दिखाने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है, जिसमें युवाओं और महिलाओं की संख्या काफी उल्लेखनीय है। बच्चों को भी गांधी से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। गांधी केंद्रित सभा समारोहों में बढ़ोतरी तो हुई ही गांधी विचार पर शोध और अध्ययन के क्षेत्र में भी नए नए प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न संस्थाओं द्वारा बच्चों और युवाओं के बीच गांधी क्विज के साथ गीत और नाटक के कार्यक्रम भी आए दिन होते ही रहते हैं और अब फिल्म भी बनने लगी हैं।

आज गांधी के कायम आश्रम विभिन्न तरह के संकटों का सामना कर रहे हैं बावजूद भागलपुर में उनके नाम पर नए नए आश्रम आबाद हो रहे हैं और शहर की तड़क भड़क से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू हुए मुक्ति निकेतन, बैजनी और शोभनपुर में हाल के वर्षों में बने आश्रम खासकर ग्रामीण बच्चों के लिए गांधी संबंधी जानकारियां हासिल करने के साथ अन्य रचनात्मक प्रशिक्षण के केंद्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। ग्रामीण बच्चों को दिशा भी मिल रही है। इस इलाके में सक्रिय गांधी जी शांति अभियान की अपील पर पहली बार इन संस्थाओं सेवा भारती, सेवापूरी, मुक्ति निकेतन, परिवार विकास, लोक भारती दिशा ग्रामीण विकास मंच और गांधी जी आश्रम शोभन पुर गांधी जी पर केन्द्रित कार्यक्रम हुए।

देश की आजादी के दिनों में भागलपुर के स्थानीय युवाओं ने अपने क्रांतिकारी अभियानों और शहादत देने के जज्बे से भागलपुर का नाम आजादी के इतिहास में दर्ज कराया है। इसी के साथ महात्मा गांधी जी के चार बार के आगमन के कारण भागलपुर देश भर के गांधी जी विचार की संस्थाओं सहित स्वतंत्र गांधीवादियों व शोधार्थियों के लिए आजादी की लड़ाई के दिनों से ही आकर्षण का केंद्र रहा है। महात्मा गांधी जी के सचिव महादेव भाई ने भागलपुर में गांधी जी के आगमन और इसके बाद शुरू हुई रचनात्मक कार्यक्रमों की गतिविधियों का जिक्र किया है।

यह अलग बात है कि जब बिहार में महात्मा गांधी जी के आगमन की बात होती है तो झट से ज्यादातर लोग चंपारण को याद करने लगते हैं और करना भी चाहिए लेकिन इसमें यह भी हुआ है कि भागलपुर में गांधी जी के चार बार के आगमन का किस्सा पीछे रह जाता है। जबकि इतिहास बताता है कि गांधी जी जितनी बार भागलपुर आए वे हर बार नए संदेश देकर गए, जो आज भी पूरी तरह प्रासंगिक हैं। उन संदेशों का प्रचार प्रसार जरूरी है। आज नई शिक्षा नीति 2020 में मातृभाषा में स्कूली शिक्षा देने की बात पर वाहवाही बटोरी जा रही है पर इस की वकालत बरसों पूर्व पहली बार 15 अक्टूबर 1917 में भागलपुर आने पर महात्मा गांधी जी खुद बिहार छात्र सम्मेलन में कर गए थे।

इसके बाद गांधी जी तीन बार और आए। दूसरी बार 11 दिसंबर 1920 में रेल के थर्ड क्लास के डब्बे से भागलपुर में उतरे थे। तब उनका भागलपुर वासियों ने भव्य स्वागत किया था। तीसरी बार तो बापू 1925 में अपने 56वें दिन पर भागलपुर पधारे। शिव भवन में बहुत सादगी से उनका जन्म दिन मनाया गया था। इस मौके पर प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद भी मौजूद थे। उस दौरान महिलाओं से बापू ने पर्दा प्रथा से तिलांजलि देने की अपील की तो महिलाओं ने तुरंत अपने घूंघट हटा लिए थे। बापू ने महिलाओं से चरखा चलाने, खादी पहनने,आभूषण त्यागने और अपनी बेटियों को पढ़ाने की अपील की। चौथी बार 2 अप्रैल, 1935 में मुंगेर के भूकम्प पीड़ितों की मदद के लिए आए थे। भागलपुर में गांधी जी के हर बार के आगमन भागलपुर के मिजाज को बदलने में कामयाब रहे हैं।

भागलपुर में गांधीवादी गतिविधियों के इतिहास का आकलन करें तो यहां महात्मा गांधी जी चार बार आए और उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उस समय शुभकरण चूड़ीवाला सहित अनेक स्वाधीनता सेनानी थे, जिन्होंने गांधी जी के विचारों फैलाने में खास भूमिका निभाई।

गांधी जी के निधन के बाद विनोबा की अपील पर तरुण शांति सेना का कार्यालय स्थापित किया गया। भागलपुर में विनोबा के प्रयत्न से आचार्यकुल की भी स्थापना की गई। फिर एक और केंद्र गांधी जी शांति प्रतिष्ठान के रूप में शुरू हुआ, जो आज भी भागलपुर में आज भी विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन करता है। इसका मुख्य केंद्र दिल्ली में है लेकिन इसका भागलपुर स्थित शाखा केंद्र जेपी आंदोलन के दौरान अपने योगदान के लिए काफी चर्चित रहा।

अस्सी के दशक में तिलका मांझी भागलपुर विश्व विद्यालय में डॉ रामधारी सिंह दिनकर और डॉ रामजी सिंह के प्रयासों से स्नातकोत्तर स्तर पर गांधी जी विचार विभाग की शुरुआत हुई। अब तक इस विभाग से दो हजार से अधिक युवा एम ए की डिग्री ले चुके हैं और दर्जनों शोधार्थी पी एच डी कर चुके है। इस विभाग द्वारा पूरे देश के विश्वविद्यालयों में गांधी जी विचार के एक समान राष्ट्रव्यापी पाठ्यक्रम लागू करने का प्रयास चल रहा है। अभी पिछले पांच जून 2020 पर्यावरण दिवस से 2 अक्टूबर तक गांधियन कलेक्टिव इंडिया की ओर से आयोजित राष्ट्रव्यापी उपवास श्रृंखला में भी इस इलाके के गांधीजनों ने बढ़-चढ़ के भाग लिया। उपवास में सुधीर कुमार सिंह, डॉ सुजाता चौधरी, डॉ मनोज मीता, प्रकाश कुमार, विभाष यादव और सिद्धार्थ शंकर झा ने शिरकत की।

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