मध्य प्रदेश

पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने फर्जी आधार से सलीना सिंह के दिवंगत पति के खाते से उड़ाए 53 लाख, धोखाधड़ी का केस दर्ज …

भोपाल। महिला एवं बाल विकास विभाग की रिटायर्ड डिप्टी डायरेक्टर ममता पाठक के खिलाफ रिटायर्ड आईएएस सलीना सिंह  ने धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया है। सलीना सिंह का आरोप है कि ममता पाठक ने उनके पति रिटायर्ड आईएएस स्व. एमके सिंह को अपना पति बताकर उनके बैंक खाते से 53 लाख 70 हजार रुपए अपने खाते में ट्रांसफर कर लिए। उन्होंने फर्जी तरीके से नगर निगम से एमके सिंह का मृत्यु प्रमाणपत्र ले लिया और उनकी प्रॉपर्टी की फर्जी वसीयत भी तैयार करा ली। कोलार पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

सलीना सिंह एडिशनल चीफ सेक्रेटरी के पद से रिटायर्ड हुई हैं। वे अपने पति एमके सिंह से अलग रह रही थीं। एमके सिंह का 14 मार्च 2022 को निधन हो गया था। उनके एक बेटा-बेटी हैं। बेटी डॉ. महक सिंह लंदन में और बेटा मन्नत सिंह न्यूयार्क में रहते हैं। सलीना सिंह के अनुसार एमके सिंह के नाम से एलआईसी की पांच पाॅलिसी हैं। एचडीएफसी बैंक में एफडी, अन्य बैंकों में तीन खाते, 11 म्यूच्युअल फंड पॉलिसी और कई जगह जमीनें हैं। कई प्रॉपर्टी, बैंक अकाउंट का अभी पता नहीं है। अभी तक इन खातों में करीब डेढ़ करोड़ रुपए जमा होने की जानकारी उन्हें मिल चुकी है। कई बैंक खातों में जमा रकम का फिलहाल पता नहीं चल सका है।

सलीना सिंह ने 15 जून 2022 को कोलार पुलिस को शिकायत की थी, जिसमें आरोप लगाया था कि ममता पाठक उनके पति एमके सिंह की संपत्ति हड़पना चाहती हैं। इसके लिए उसने दो आधार बनवा रखे हैं। एक में ‘सिद्ध गोपाल दानिश व्यू 1/86’  पता लिखा है, दूसरे में खुद को महेश कुमार सिंह की पत्नी बताते हुए पता ‘दानिश हिल्स व्यू 1/75’ दर्ज कराया है। दोनों आधार कार्ड के फॉन्ट साइज में भी अंतर है। दूसरे कार्ड में नाम के बाद कॉमा लगाया गया है।

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि डेथ सर्टिफिकेट प्राप्त करने का अधिकार पत्नी व बच्चों को ही होता है। लेकिन, एमके सिंह के निधन के बाद ममता पाठक ने नगर निगम से फर्जी दस्तावेजों के आधार पर डेथ सर्टिफिकेट भी निकाल लिया। फर्जी आधार का उपयोग कर एमके सिंह की बेटी महक सिंह, बेटा मन्नत सिंह के साथ धोखाधड़ी की गई है। सलीना सिंह का आरोप है कि ममता पाठक ने फर्जी वसीयतनामा तैयार किया।

इसमें खुद को ममता पाठक (60)  पुत्री स्व. सिद्धगोपाल पाठक बताया। वसीयतनामा का स्टांप पेपर 8 अक्टूबर 2021 को रात में 10 बजे प्राप्त किया गया, लेकिन इसका रजिस्ट्रेशन 23 मार्च 2022 को कराया गया, जबकि एमके सिंह की मौत 14 मार्च 2022 को हो चुकी थी। ऐसे में आधार और वसीयनामा दोनों फर्जी हैं। बहरहाल, पुलिस मामले की जांच कर रही है।

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