नई दिल्ली

केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह के प्रयास से छत्तीसगढ़ के 12 जनजाति हुए एसटी में शामिल ..

नई दिल्ली (प्रमोद शर्मा)। केंद्रीय मंत्री मंडल ने कल 14 सितंबर को देश के 15 जनजातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला लिया उसमें छत्तीसगढ़ की 12 जनजातियां शामिल है। अब भारिया, भूमिया, पंडो, धनवार, गढ़बा, कोंध, धनगढ़, संवरा जनजातियों को आदिवासी होने का लाभ मिलेगा। केंद्रीय जनजातिय राज्यमंत्री रेणुका सिंह के अथक प्रयास से छत्तीसगढ़ के जनजातियों को यह लाभ मिल सकेगा।

केंद्रीय जनजाति राज्यमंत्री रेणुका सिंह लगातार यह प्रयास कर रही थी कि छत्तीसगढ़ के उन जनजातियों को भी आदिवासी होने का लाभ मिले जो अभी तक किसी न किसी वजह से आदिवासी होने के बाद भी सरकारी रिकॉर्ड में इस समुदाय से जुड़ नहीं पाए थे। लगातार प्रयास के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने देश के पांच राज्यों के पंद्रह जनजातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला ले लिया है। रेणुका सिंह ने इस निर्णय के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर तथा केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजिजू से मुलाकात कर उनको छत्तीसगढ़ के 12 जनजातियों को न्याय विभाग से मान्यता दिलाए जाने पर बधाई दी।

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में बुधवार को गोंड-भारिया जैसी जातियों को लेकर बड़ा फैसला लिया गया। कैबिनेट ने 5 राज्यों छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में करीब 15 जनजातीय समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने यह जानकारी दी।

इस फैसले के बाद देश में अनुसूचित जनजातियों की संख्या 705 से बढ़कर 720 हो गई है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में ST की जनसंख्या 10.43 करोड़ है, जो देश की कुल आबादी का 8.6% है।

मीटिंग के दौरान UP के रविदास नगर का नाम बदलकर भदोही कर दिया गया है। गोंड जाति की 5 उपजातियों, धूरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड को भी अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया है।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंजूरी के बाद मीडिया से कहा कि इस फैसले से हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के ट्रांस-गिरी एरिया में बसे हट्टी समुदाय के लगभग 1.60 लाख लोगों को फायदा होगा। छत्तीसगढ़ में बृजिया समुदाय और तमिलनाडु की पहाड़ियों में रहने वाले सबसे वंचित और कमजोर समुदायों में से एक नारिकुरावर भी लाभांवित होंगे।।

उत्तर भारत में रहने वाला हट्टी वह समुदाय है, जो छोटे शहरों के बाजारों यानी हाट में फसल, सब्जियां, मांस और ऊन बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं। हट्टी समुदाय की जन्मभूमि मुख्य रूप से यमुना की दोनों सहायक नदियों गिरि और टोंस के बेसिन में हिमाचल-उत्तराखंड की सीमा तक फैली हुई है।

सरकार ने मार्च में इस मुद्दे से जुड़ा विधेयक लोकसभा में पेश किया था। जिसमें उत्तर प्रदेश की गोंड, धुरिया, नायक, ओझा पठारी और राजगोंड जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया जाने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। हालांकि, तब राज्यसभा में यह बिल पास नहीं हो सका। ऐसे में केंद्रीय मंत्रिमंडल में इसे पारित करने का फैसला लिया गया।

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