मध्य प्रदेश

भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को डीजीपी ने दी ‘कालापानी’ की सजा

800 किमी दूर किया पदस्थ, पुलिस विभाग में मचा हड़कंप

भोपाल। पुलिस विभाग का नाम खराब कर रहे अधिकारियों औेर कर्मचारियों ने पुलिस महानिदेशक को नाराज कर मुसीबत माेल ले ली है। डीजीपी सुधीर सक्सेना ने उन्हें ‘कालापानी’ की सजा दी है। जी हां इसे कालापानी ही कहना सही है क्योंकि रातों-रात ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला 800 किमी दूर कर दिया गया है। कुछ सस्पेंड होकर लाइन अटैच कर दिए गए हैं। सोशल मीडिया पर जहां डीजीपी के इस सख्त एक्शन की तारीफ हो रही है, वहीं पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। दबी जुबान में यह भी चर्चा चल रही है कि जो भी भ्रष्ट पुलिस कर्मचारी-अधिकारी अब तक बचे हुए हैं, अगला नंबर उनका है। दूसरी तरफ अब पुलिस मुख्यालय से लेकर जिले तक में वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीनस्थ अधिकारियों और कर्मचारियों को यही नसीहत दे रहे हैं कि गलती से भी गलती मत कर बैठना,अन्यथा ‘डीजी साहब’ सीधे ‘कालापानी’ की सजा देंगे।
दरअसल, डीजीपी कई बैठकों और कॉन्फेंस में जीरो टॉलरेंस की बात कह चुके हैं। उन्होंने साफ निर्देश भी दिए हैं कि शासन की मंशा के अनुरूप पुलिस अपराधियों के खिलाफ वज्र से कठोर और आम जनता के लिए फूल से ज्यादा कोमल रहे। इसके साथ ही उन्होंने पुलिस के रवैये को सुधारने पर भी जोर दिया है। कई मंचों पर उन्होंने कहा है कि वर्दी की चमक फीकी ना पड़े। बावजूद इसके कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों के कानाें पर जू नहीं रेंगी, यही वजह है कि डीजी साहब उखड़ गए और उन्होंने तत्काल इसकी सूची तैयार करवाकर उनके तबादला आदेश जारी कर दिए।

अब पछतावे का होय जब चिड़िया चुग गई खेत

सुनने में तो ये भी आया है कि कई अधिकारयों और कर्मचारियों ने ‘जुगाड़’ से आदेश रुकवाने के लिए हाथ-पांव मारे, लेकिन बात नहीं बनी। पुलिस अधिकारी भी इस मामले में उलझने से खुद को बचा रहे हैं। उनका कहना है कि सामान्यत: नर्मी से पेश आने वाले डीजीपी साहब को क्रोध दिलाने का नतीजा अब उन्हें भुगतना ही होगा। तबादले की मार झेल रहे अधिकारी-कर्मचारी अब पछता रहे हैं, लेकिन कहावत है ना कि अब पछतावे का होय जब चिड़िया चुग गई खेत।

ऐसे कारनामों की मिली सजा

सूत्रों के मुताबिक उज्जैन में 6 अप्रैल को आरक्षक रवि कुशवाहा घूस ले रहा था और लोकायुक्त पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। इस मामले में उसे निलंबित कर सीधी मुख्यालय भेजा गया है। इस मामले में चिमनगंज मंडी के थाना प्रभारी जितेंद्र भास्कर भी लपेटे में आ गए, जिम्मेदार मानते हुए उन्हें पुलिस लाइन अटैच किया गया है। रिश्वतखोरी के आरोप में 28 मार्च को रीवा में ट्रैफिक सूबेदार दिलीप तिवारी एवं आरक्षक अमित सिंह को भी लोकायुक्त पुलिस ने रंगेहाथ पकड़ा था। दोनों सस्पेंड  कर दिए गए थे। अब सूबेदार दिलीप तोमर को रीवा से शाजापुर एवं आरक्षक अमित सिंह को रीवा से भिंड भेज दिया गया।

पैसों की उगाही के किस्से भी हैं

दरअसल, रीवा में समान थाना प्रभारी सुनील कुमार गुप्ता और उप निरीक्षक रानू वर्मा 30 मार्च को एक होटल संचालक से रुपये मांग रहे थे, शिकायत लोकायुक्त के पास पहुंची। लोकायुक्त की दबिश से पहले दोनों थाना छोड़कर रफुचक्कर हो गए। इसके बाद डीजी के आदेश के बाद सुनील गुप्ता को रीवा से खंडवा और उप निरीक्षक रानू वर्मा को रीवा से टीकमगढ़ भेज दिया गया है। रीवा जिले के मऊगंज के कार्यवाहक एएसआई राजकुमार पाठक को लोकायुक्त ने पैसे लेते पकड़ा था। इसके बाद उन्हें रीवा से बड़वानी भेज दिया गया। लोकायुक्त से रिपोर्ट मिलने पर पाठक को निलंबित किया जा चुका है। मऊगंज टीआई को भी लाइन भेजा गया है। मुरैना में साइबर सेल द्वारा गड़बड़ी करने की शिकायत मिलने पर साइबर सेल प्रभारी एसआई सचिन पटेल पर कार्रवाई की गई। एसआई पटेल को एसएएफ भेजकर धार पदस्थ किया गया। वहीं, आरक्षक सर्वजीत सिंह को मुरैना से अलीराजपुर, रवि पटेल को मंडला, अजीत जाट को बुरहानपुर तथा प्रशांत नरवरिया को मुरैना से झाबुआ पदस्थ किया गया है।

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