लेखक की कलम से
तेरे बिन …
स्मित क्षण तेरे बिन कम्पित- कम्पित दृग में परछाई तेरी स्नेहिल-स्नेहिल ।
चित्रित तेरा स्वर सपनों में
स्वप्निल -स्वप्निल काया में छाया श्रम की
आलोकित आलोकित ।
व्योम का सूना आँगन
स्पंदित- स्पंदित
खाली वैभव तेरे कर बिन
क्रन्दित-क्रन्दित।
तेरा पग संगीत भरा था
मधुरित- मधुरित क्षितिज को जो छू लें
अतुलित-अतुलित।
पथ-चिह्न जो तूने दिया था
विहँसित- विहँसित
तारों में प्रतिबिंबित यादें
सस्मित-सस्मित।
वाणी का स्वर कर मुखरित -मुखरित
लय में जग का चिर करुणा धन
सुरभित -सुरभित
तम में परिचित सुधि- सी काया
दीपित -दीपित
युग- युग जल निष्कंप हुआ प्रज्वलित -प्रज्वलित
शूल प्रिय पथ तूने माना
सरसिज- सरसिज
गूँथ के काँटों को भी हार में
अमृत -अमृत।
©बबिता सिंह, हाजीपुर, बिहार