लेखक की कलम से

सादगी एक गहना है …

दुनिया की चकाचौंध में खोकर हम एक आभूषण को पहनना भूलते जा रहे हैं। इसका नाम और महत्व दोनों हमें मालूम हैं लेकिन यह वर्तमान समय में चलन में नहीं है। इस आभूषण का नाम है “सादगी”। प्रत्येक व्यक्ति अपने व्यक्तित्व को प्रभावी बनाने के लिए अपने आचार व्यवहार को पूरी तरह बदलने में लगा हुआ है। जीवन की दौड़ में आगे निकलने के लिए वह अपने प्राकृतिक स्वभाव को भी परिवर्तित कर लेता है। कुछ दूर जाने के बाद अहसास होता है कुछ था जो अनमोल था लेकिन अनजाने में उसे खो दिया है। एक खूबसूरत गहना पहनना रह गया है।

मेरी विचारधारा के कारण मुझे पुराने जमाने का माना जा सकता है क्योंकि मैं मानती हूं कि सादगी सबसे बड़ा आकर्षण है। इस कृत्रिम वातावरण में एक सादा इंसान सबसे अलग नज़र आता है। उसकी सादगी की चमक उसे विशिष्ट बना देती है। नकाब पहने हुए लोगों की बढ़ती हुई भीड़ में उसका ही चेहरा नज़र आता है। सादगी की चमक के सामने दुनिया की हर चमकदार वस्तु फीकी नज़र आती है। ठीक वैसे ही जैसे दुनिया की सारी रोशनी एकत्रित होकर भी सूर्य की रोशनी का मुकाबला नहीं कर सकती है।

अब्राहम लिंकन, महात्मा गांधी, अटल बिहारी बाजपेई, ए पी जे अब्दुल कलाम के साथ साथ और भी बहुत से नाम हैं जिन्होंने जीवन भर सादगी को अपनाया है। इन महान व्यक्तियों का जीवन सबके लिए अनुकरणीय है। ये सभी आडंबर रहित जीवन जीना पसंद करते थे। अपनी शक्तियों को इन्होंने उच्च लक्ष्य की प्राप्ति के लिए समर्पित किया। उन्होंने अपने उसी स्वरूप को स्वीकार किया जो ईश्वर ने उन्हें दिया था। ईमानदारी से कर्तव्य निर्वाह किया और सादा जीवन उच्च विचार का सिद्धांत बना गए। आइए इस गहने को पहने और अपना जीवन अनुकरणीय बनाएं।

 

©अर्चना त्यागी, जोधपुर                                                  

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