लेखक की कलम से

मूलचंद और गोपीचंद थवाईत की स्मृति में सार्वजनिक कवि सम्मेलन का आयोजन ….

बातें तुमको भली लगे या बातें तुमको लगे बुरी

हम कबीर के बेटे हम तो बातें कहते खरी-खरी

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मेघ बसंत कॉलोनी में काव्य फुहारों का रसिक श्रोताओं ने देर रात तक आनंद लिया

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थवाईत परिवार ने गृह प्रवेश पर किया काव्य यामिनी का शानदार आयोजन*

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मेघ बसंत कॉलोनी में मूलचंद थवाईत (दादाजी) और गोपीचंद थवाईत (पिताजी) की स्मृति में अजय एवं थवाईत परिवार ने गृहप्रवेश के अवसर पर सार्वजनिक तौर पर भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया। गुलाबी ठंड के बीच रसिक श्रोताओं ने काव्य की रसपूर्ण फुहारों का जमकर आनंद लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विनोद सेवन लाल चंद्राकर, संसदीय सचिव व विधायक और विशिष्ट अतिथि धरम चंद श्रीमाल रहे। अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन एवं स्मृतिशेष के छायाचित्र पर पुष्पांजलि कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

कवि सम्मेलन की शुरुआत कवि मीर अली ‘मीर’ की सरस्वती वंदना से हुई। सर्वप्रथम काव्यपाठ करते हुए राजनांदगांव के युवा हास्य कवि मनोज शुक्ला ने अपनी हास्य फुलझड़ियों से खूब ठहाके लगवाये। उनकी पँक्तियाँ देखें–

अपनो से बच के रहनापराये घाव नहीं देते,

प्रदूषण तो शहर देते हैं गाँव नहीं देते।

कभी सड़क किनारे एक पेड़ लगाओ यारों,

तुम्हारे बिजली के खम्भे छाँव नहीं देते।

रायपुर के नवोदित गीतकार भरत द्विवेदी के अपने दिलकश मुक्तकों और गीतों से समां बांधा। पिता शीर्षक गीत पर उन्होंने सबको भावविभोर कर दिया–

वो मेरा बचपन लौटा दो, बस है ये फरियाद,

बापू मेरी पूरी कर दो फिर से एक मुराद।

भिलाई नगर के लोकप्रिय व्यंग्य कवि आलोक शर्मा ने हास्य-व्यंग्य विशिष्ट प्रस्तुति दी —

भगवान का दिया कभी अल्प नहीं होता,

बीच में जो टूटे वह संकल्प नहीं होता,

पराजय को लक्ष्य से से दूर रखना यारों,

क्योंकि विजय का कोई विकल्प नहीं होता।

 

 

महासमुंद के गीत व ग़ज़लकार अशोक शर्मा ने दोहे,मुक्तकों के माध्यम से सामाजिक संदर्भों की हृदयस्पर्शी कविताओं से सबका मन मोह लिया। उनकी लोकप्रिय रचना ‘सर में काफी दर्द है माँ…’ का श्रोताओं ने भरपूर स्वागत किया–

 

रस्ता रोके खड़ा अँधेरा, किस खिड़की से आए सबेरा,

सूरज दुबका पड़ा माँद में,

लगा हुआ है ग्रहण चाँद में,

दूर दूर तक पसर गई है,काफी गहरी बर्फ है माँ,

सर में काफी दर्द है माँ,सर में काफी दर्द है माँ।

रायपुर के प्रसिद्ध कवि मीर अली ‘मीर’ ने चर्चित कविता ‘नंदा जाही…’ का एवं हिंदी छत्तीसगढ़ी की विभिन्न कविताओं की प्रस्तुति ने खूब रंग जमाया। उनके नवगीत की पँक्ति देखें–

बेसुध पड़ी थी तुम, फूल की सेज पर,

अपलक निहारता रहा, इस बात का डर था,

पलकों के झपकने से कहीं , शोर न हो जाए।

कवि सम्मेलन के संयोजक एवं संचालक बिलाईगढ के हास्य कवि बंशीधर मिश्रा ने पूरे समय अपनी हास्य व्यंग की शैली से रोचकता बनाए रखी,उनकी पंक्तियां बहुत सराही गई-

“मोदी महंगाई को आसमान दे रहे है

हम भी सर झुका कर सम्मान दे रहे है

सौ रूपये का पेट्रोल भरा कर सोचते है हम

राफेल की खरीदी मे योगदान दे रहे है”

 मेघबसंत कालोनी के निवासियों के अलावा महासमुंद के बड़ी संख्या में श्रोताओं ने कविताओं का आस्वादन किया जिनमें विधायक और संसदीय सचिव विनोद सेवन लाल चन्द्राकर, मेघ बसंत कालोनी के डायरेक्टर और समाजसेवी धरमचंद श्रीमाल, प्रख्यात व्यंग्यकार ईश्वर शर्मा, डॉ. मेमन, काँग्रेस के जिला महामंत्री संजय शर्मा, शहर अध्यक्ष खिलावन बघेल, सुरेन्द्र मानिकपुरी, मनोज मालू श्रीमती निर्मला श्रीमाल, श्रीमती मोहन मालू, श्रीमती शशि थवाईत, दिप्ती थवाईत, कृति थवाईत, राजेंद्र थवाईत, राकेश थवाईत, जयंती महोबिया, विष्णु तम्बोली,राम खिलावन महोबिया, सरला तम्बोली, द्रौपदी महोबिया, सरोज थवाईत, सुधा तम्बोली, अराध्य थवाईत परिवार के परिजन सहित अनेक गणमान्य नागरिक पूरे समय उपस्थित रहे और कार्यक्रम का आनंद लेते रहे।

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