लेखक की कलम से
उदासी …
पता नही क्यों कोई मुझे
अपना नही लगता है,
सबकुछ होते हुए भी
हर तरफ सूना सूना सा लगता है
जिसको सबसे अपना समझूं
वो भी मुझे बेगाना लगता है
भरी महफ़िल में भी
चारों तरफ उदासी छाई रहती है ।
©मनीषा कर बागची
पता नही क्यों कोई मुझे
अपना नही लगता है,
सबकुछ होते हुए भी
हर तरफ सूना सूना सा लगता है
जिसको सबसे अपना समझूं
वो भी मुझे बेगाना लगता है
भरी महफ़िल में भी
चारों तरफ उदासी छाई रहती है ।
©मनीषा कर बागची