लेखक की कलम से

समाज को नई दिशा देता काव्य मंच…

राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच तमिलनाडु इकाई की सितंबर माह की गोष्ठी दिनांक 26/09/2021 रविवार को बहुत ही सुन्दर वातावरण में संपन्न हुई। आप सभी ने अपने बहुमूल्य समय देकर गोष्ठी को सफल बनाया, गोष्ठी को शिखर तक पहुंचाया। आप सभी कवि, कवित्रियों की रचनाएं एक से बढ़कर एक थीं।

 

इस गोष्ठी में आप सबने सभी बिंदुओं पर अपनी श्रेष्ठ रचना रखी, शायद ही ऐसा कोई पहलू छूटा होगा। इस गोष्ठी की अध्यक्षता श्रीमती शोभा चोरड़िया (सचिव, महिला काव्य मंच, चेन्नई) ने किया। गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रेम विज (अध्यक्ष,  राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, चंडीगढ़ इकाई) और विशिष्ट एसएस भल्ला (राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, पंजाब इकाई के संरक्षक) रहे। गोष्ठी में सभी का स्वागत आदरणीय विजय मोहन सिंह ने बड़े मधुर और स्नेह भरे शब्दों में किया।

 

संचालन दिनेश कुमार ने किया। सरस्वती वंदना तमिलनाडु की वरिष्ठतम कवियित्री सबसे ऊर्जावान जिन्होंने अपनी रचना से पूरे भारत में व विशेषकर चेन्नई में सभी लोगों को हिंदी से जुड़ने की प्रेरणा बनीं डॉ. राजलक्ष्मी कृष्णन ने बहुत ही मधुर और मनमोहक गीत से किया। सम्मानीय अतिथिगण जिनमें मधुरेश नारायण ( अध्यक्ष, राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, बिहार इकाई) व डॉ. सत्येंद्र शर्मा (संरक्षक, राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, हिमाचल प्रदेश) और प्रमोद अग्निहोत्री (अध्यक्ष,राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक काव्य मंच, पश्चिमी उत्तर प्रदेश) उपस्थित रहे। अपने उद्बोधन के दौरान आप सभी ने विभिन्न प्रकार से सबका मनोबल बढ़ाया, गोष्ठी को और अधिक सफल कैसे बनाया जाए इस पर भी चर्चा की।

 

गोष्ठी के अध्यक्षीय उद्बोधन के दौरान श्रीमती शोभा चोरड़िया ने बहुत ही मनमोहक अंदाज में बताया कि हम सब जीवनपर्यन्त सीखते ही रहते हैं और उन्होंने विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। गोष्ठी की शुरुआत ही एस एस भल्ला के हास्य जोक्स से हुई, आप ने सभी के दिलों को जीत लिया, प्रेम विज ने बहुत ही आत्मीयता व मधुर आवाज में आप ने गीत रखे। आप सूर्य की तरह गोष्ठी में हम सबको अपने स्नेह से ऊर्जा देते रहे और आप ने सभी का मनोबल बढ़ाया। मंच पर उपस्थित सभी कविगण की रचनाएं एक से बढ़कर एक थीं।

 

गोष्ठी  में  प्रतिभागी कविगण इस प्रकार रहे कुछ कवियों की रचनाएँ उनके नाम के साथ में इस प्रकार हैं- डॉ. श्रीलता सुरेश, मोहन लाल गंगवार की रचना ऊपर वाला है कितने ऊपर, क्या कोई बतलाएगा, राजलक्ष्मी कृष्णन, डॉ. सुनीता जजोदिया ने “शिखर से उतर, पत्थरों से गुजर, चट्टानों को तराश, अठखेलियां कर”, संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी ने अपनी (सिंहासन खाली कर दे इसमें ही है तेरी भलाई), डॉ. मिथिलेश सिंह ने ” रिश्ते कभी जिंदगी के साथ नहीं चलते, समय के साथ बदलते रहते हैं”, ,श्रीमती सीमा प्रताप, श्रीमती अनीता सोनी, श्रीमती चंद्रा गंगवार, प्रमोद अग्निहोत्री, श्रीमती सरला सरल की रचना “हां श्रीमान मैं हिंदी जीती हूँ, हर सांस हिंदी में लेती हूँ।”, श्रीमती उषा टिबड़ेवाल ने ” मूल से ब्याज प्यारा कैसे” शीर्षक पर रचना पढ़ी।

 

डॉ. विद्या शर्मा ने बहुत ही सुन्दर रचना जिसका शीर्षक, “माँ”  था  ” कितना भी वैभव मिल जाए बिन तेरे कुछ न भाये, याद तुम्हारी जब जब आये नैना नीर बहलाए,” , स्वीटी सिंघल ने बेटी दिवस पर अपनी मार्मिक रचना, “नहीं चाहती बेटियाँ संपत्ति में अधिकार, दे सकते हैं तो दें उन्हें बेटों जितना प्यार और सम्मानित व्यवहार।”, दिनेश कुमार ने अपनी रचना जिसका शीर्षक “इश्क दा सजदा”  रखी। श्रीमती रेखा राय, त्रिभुवन जैसवाल की रचना बेटी दिवस पर थी ” चिड़ियों सी महकती हैं घर में बेटियां, कलियों सी मुस्कुराती हैं घर में आज बेटियां” रखी। श्रीमती रेखा राय। गोष्ठी के समापन में श्रीमती शोभा चोरड़िया ने धन्यवाद ज्ञापित किया जिसमें सभी के रचनाकारों की रचनाओं सहित बहुमूल्य पहलुओं रचनाओं विशेष बेटी दिवस पर चर्चा की।

 

कार्यक्रम समापन में हम सबके हृदय की धड़कन विजय मोहन सिंह के जन्मदिन पर सभी ने बधाइयाँ दीं। जन्मदिन के अवसर पर श्रीमती रेखा राय ने बहुत ही सुन्दर शोहर गीत प्रस्तुत किया। जो गोष्ठी में चार चाँद लगा दिए । सभी कवियों ने सफल संचालन के लिए हमे भी बधाइयाँ दीं।

Back to top button