लेखक की कलम से
हमप्याले बहुत मिले …
ग़ज़ल
हमको अश्क़ों की महफिल में , हँसने वाले बहुत मिले ।
थे लिबास तो उजले उनमें ,मन के काले बहुत मिले ।
एक ओर हैं भूखे बच्चे ,दूजी ओर होटलों में ,
बहते हुए निरंतर जूठन के परनाले बहुत मिले ।।
कह तो दिया उन्होंने अब ,हमने पीना छोड़ दिया,
मयख़ाने जाकर जब देखा तो , हमप्याले बहुत मिले ।
सीख लिया था हमने जीना ,ग़म के काले साए में ,
जब से ख़ुद से हाथ मिलाया ,हमें उजाले बहुत मिले ।।
परम पिता ने हम सबको ,इंसान बनाकर भेजा है ,
चली परखने जब ‘ अलका ‘ तो ,लोग निराले बहुत मिले ।।
@अलका शर्मा, नोएडा