लेखक की कलम से

छपाक…

वो बहुत तकलीफ़ में हैं

एक भेड़िए ने उसका शिकार किया

 

बहुत तकलीफ़ में है

एक सियार ने उसके भावनाओं के साथ छल किया

 

वो थी, वो हैं, वो रहेगी

सब उसके चेहरे को देख रहे हैं

क्योंकि वह नायिका बनकर आई है

कहानी बनी, फिल्म भी बना

इस बार कुछ लोमड़ी कुछ बाज़ कुछ गिद्ध पंछी आए हैं

बचा कुचा चमड़ी नाटक करके या फिर राजनीति करके

नोच के ले जाएंगे 

लक्ष्मी बहुत खुश है मनोरंजन के उद्देश्य से ही सही

कुछ लोग उसके दर्द को बांटने तो आएंगे

बहुत रोई है वो बहुत पानी है यहां

सब छपाक छपाक कुदेगें……

©दोलन राय, औरंगाबाद, महाराष्ट्र

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