लेखक की कलम से

पूछते हो खता क्या …

गज़ल

 

पूछते हो खता क्या हुई प्यार में,

एक चुभन दर्द की मिल गयी प्यार में।

 

इश्क़ मुझसे किया फिर जुदा हो गये,

आज चाहत मेरी जगी प्यार में।

 

आपको पा सकूँ दिल मे हसरत रही,

बेकरारी ये मेरी बढ़ी प्यार में।

 

इश्क़ के ही बहाने जो छलते रहे,

उनके हाथों गयी  मैं ठगी प्यार में।

 

जिंदगी का ये “झरना” वही थम गया,

मुझको जब  से है ठोकर लगी प्यार में।

 

©झरना माथुर, देहरादून, उत्तराखंड                             

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