मेरे पापा …
पापा खाना तो आज बनाती हूँ पर
पल पल आपकी याद आती हैं वो दिन
बहुत याद करती हूँ जब आप मुझे खाना
बनाना भी खेल खेल में ही सिखाते थे।
देखो पापा आज आपकी बेटी खाना बनाती हैं
पापा मै आप को आज भी कुछ कहना चाहती हूँ
पापा मैं आपके साथ बैठना चाहती हूँ
आपको खाना बनाकर खिलाना चाहती हूँ।
पापा आप मेरे बने खाने को पसंद करते थे
कैसा भी बने खुश हो खाते थे
आपसे बहुत कुछ कहना चाहती हूँ
रोना चाहती हूँ एक बार आपके कंधे सिर रख।
आज जब भी खाने को देखती हूं बस
अपने दर्द बयाँ कर रोना चाहती हूँ
आज खाना बनाकर भी कोई नही कहता
कि कितना स्वाद खाना बना है।
पापा आज आपकी छोटी सी ये पगली
आपको याद कर रो लेती हैं अकेली
पापा मै आप से बात कहना चाहती हूँ
मैं कई बार अकेली सी पड़ जाती हूँ।
आपको खाना बना आवाज देना चाहती हूँ
आओ खाना खाने आवाज लगाना चाहती हूँ।
पापा मैं आप को बहुत चाहती हूँ
हाँ पापा आपको बहुत याद करती हूं ।
©डॉ मंजु सैनी, गाज़ियाबाद