लेखक की कलम से

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए जैव-विविधता को समझना जरूरी …

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस पर विशेष

पृथ्वी पर जीवों की लाखों प्रजातियां है | 22- मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाने का उद्देश्य जीवों व जंगलों को संरक्षित करना है | संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 दिसंबर 2000 को  प्रस्ताव पारित करके 22 मई को अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के रूप में मनाये जाने का संकल्प लिया| इस दिवस का मुख्य उद्देश्य 22 मई 1992 को पारित किये गये नैरोबी एक्ट का पालन करना तथा इस संबंध में लोगों को जागरुक करना है| मानवों द्वारा लगातार जंगल काटे जा  रहे हैं, प्रकृति में मौजूद जीवों की तमाम प्रजातियां मानव की गतिविधियों से विलुप्त हो चुकी है| और बहुत सी प्रजातियां विलुप्त की कगार पर हैं| जिस प्रकार हमने जंगलों का दोहन लगातार किया है|उसी प्रकार परिणाम भी मिलने सुरु हो गए हैं|  आज पूरा विश्व प्राणवायु के संकट से जूझ रहा है| जैव विविधता का तात्पर्य विभिन्न प्रकार के जीव−जंतु और पेड़-पौधों का अस्तित्व धरती पर एक साथ बनाए रखने से होता है. जैव विविधता की कमी से बाढ़, सूखा और तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदा का खतरा बढ़ जाता है।

22 मई: अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस विश्व भर में  मनाया जा रहा है | जैव-विविधता दिवस को प्राकृतिक एवं पर्यावरण संतुलन बनाए रखने में जैव-विविधता का महत्व देखते हुए ही अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया |

जैव विविधता का तात्पर्य विभिन्न प्रकार के जीव−जंतु और पेड़-पौधों का अस्तित्व धरती पर एक साथ बनाए रखने से होता है| जैव विविधता की कमी से बाढ़, सूखा और तूफान आदि जैसी प्राकृतिक आपदा का खतरा बढ़ जाता है. पारिस्थितिक संतुलन को बनाये रखने  हेतु प्रकृति का प्राकृतिक रूप में रहना अति आवश्यक है| जहां एक ओर मानव ने तकनीक के सहारे विकाश की अबाध गति को तेज किया है,तो वहीं दूसरी ओर प्रथ्वी पर जीवों , पेड़ों व पहाड़ों का विनाश किया है।

एक बार पुनः प्रकृति को अपने मूल रूप में लाने कि सख्त आवश्यकता है | प्रकृति है तो जीवन है|

 

©देवेन्द्र नारायण तिवारी, नेहरू कॉलेज पनवाड़ी, महोबा

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