लेखक की कलम से
संस्कृति की लाइन में क्यों नहीं चलते…
ईंधन के लिए
पेट्रोल, मिट्टी तेल
लाईन में लगकर
लेते हैं
फिर
क्यों
इसके उपयोग पर
बेलाइन हो जाते हैं
बेटी बहू पर उड़ेल देते हैं
क्या यही
हमारी संस्कृति की लाइन है
रत्नगर्भा
भारत भूमि
संस्कृति की खान है
पूरी जहां करता
इसका गुणगान है
इस पावन भूमि
को
शर्मसार होने से
बचाएं
नारी संस्कृति है
रक्षा करें
संकल्प उठाएं
©जितेंद्र शुक्ला, व्याख्याता, तखतपुर, बिलासपुर