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आम चुनाव के लिए राजनीतिक दलों का खर्च ₹1 लाख करोड़ से अधिक हो सकता है

नई दिल्ली
18वीं लोकसभा का चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव हो सकता है। एक अनुमान के मुताबिक इस चुनाव में 1 लाख करोड़ रुपए का खर्च हो सकता है। सेंट्रल फार मीडिया स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में देश में चुनाव का कुल खर्च करीब 60 हजार करोड़ रूपए (8 बिलियन डालर) था और उस समय यह दुनिया का सबसे महंगा चुनाव साबित हुआ था क्योंकि 2016 में अमरीका में हुए राष्ट्रपति चुनाव में कुल 6.5 बिलियन डालर रुपए खर्च हुए थे लेकिन 2020 के अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में ही अमरीका ने सबसे महंगे चुनाव के मुकाबले भारत को पछाड़ दिया क्योंकि अमरीका में पिछले राष्ट्रपति चुनाव में 14 बिलियन डालर का खर्च हो गया।

अब यदि भारत में चुनाव का खर्च इस साल 1.16 लाख करोड़ को पार करता है तो भारत का चुनाव दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होगा। इस लिहाज से दुनिया के सबसे महंगे चुनाव के मामले में भारत और अमरीका में ही मुकाबला है। देश में 2019 के चुनाव में हुए कुल खर्च में चुनाव आयोग के खर्च के अलावा, राजनीतिक दलों, चुनाव में खड़े उम्मीदवारों के खर्च के अलावा अन्य प्रकार का खर्च भी शामिल है। इसमें से 24 हजार करोड़ रुपए (40 फीसदी) खर्च उम्मीदवारों ने खुद किया था जबकि राजनीतिक दलों ने 20 हजार करोड़ रुपए (35 प्रतिशत), सरकार और चुनाव आयोग ने करीब 10 हजार करोड़ रूपए (15 प्रतिशत) मीडिया सपांसर 3 हजार करोड़ रुपए (5 प्रतिशत) और अन्य प्रकार के औद्योगिक खर्चों पर 3 हजार करोड़ रुपए (5 प्रतिशत) खर्च हुआ था।

इतना खर्च तब हुआ था जब चुनाव में उम्मीदवारों के खर्च की सीमा 70 लाख रुपए थी, यह खर्च की सीमा 2022 में बढ़ा कर 95 लाख रुपए की गई है और इसी में ही 35 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस लिहाज से इस चुनाव में उम्मीदवारों का खर्च ही 35 प्रतिशत बढ़ेगा यानी उम्मीदवारों का 24 हजार करोड़ रुपए का खर्च ही 32 हजार करोड़ रुपए पहुंच सकता है। इसके अलावा चुनाव आयोग का खर्च और राजनीतिक दलों के खर्च में भी वृद्धि होगी जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि इस चुनाव में खर्च 1 लाख करोड़ रुपए पार जा सकता है।

1998 से 2019 तक हुए लोकसभा चुनाव में खर्च अनुमानित राशि (करोड़ रुपए में) और चुनाव आयोग, काग्रेस व भाजपा की हिस्सेदारी (% में)
ट्रैंड साल     कुल खर्च     आयोग     कांग्रेस     भाजपा
1998     9000     13     30-00     20-00
1999     10,000     10     31-40     25-00
2004     14,000     10     35-45     30-00
2009     20,000     12     40-45     35-40
2014     30,000     12     30-32     40-45
2019     55,000+     15     15-20     45-55

21 साल में 9 हजार से 60 हजार तक पहुंचा खर्च
पिछले 26 साल में देश में लोकसभा के छह चुनाव हुए हैं और इस बीच चुनाव का खर्च 9000 करोड़ रुपए से बढ़ कर 60 हजार करोड़ रुपए हो गया है। 1998 के चुनाव में यह खर्च 9000 करोड़ रुपए था जबकि 2019 में यह खर्च 60 हजार करोड़ रुपए हुआ।

कांग्रेस के खर्च में कमी भाजपा का बढ़ा
1998 में भाजपा ने चुनाव पर करीब 20 प्रतिशत खर्च किया था जबकि 2019 में भाजपा का खर्च बढ़ कर 45 प्रतिशत हो गया। इसी प्रकार 2009 में कांग्रेस ने कुल खर्च का 40 प्रतिशत खर्च किया था जबकि 2019 में यह कम हो कर 10-15 प्रतिशत हो गया।

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