लेखक की कलम से

तेरे रूह की गली में …

गजल

 

तेरे रूह की गली में,

था मेरा आना जाना,

वो आशिकी की खिड़की पर,

कभी तेरा था निकल आना,

मेरे दिल के आशियाने में,

कब बस गई थी,

यह हमने न जाना,

फिर मेरे सपनों में भी,

था तेरा आना- जाना,

धीमे- धीमें मेरे ख्वाबों की,

महफिल में तेरा आना,

चांद की डोली में सज कर,

मेरे घर तेरा आना,

छुपा लूं मैं तुझे सबसे कहीं,

खो न जाए मेरी आशा,

बिछा दूँ फूल मैं तेरी राहों में,

चुभ न जाए कहीं कोई कांटा,

तू ही जन्नत हो मेरे ख्वाबों की,

तू ही दुनिया हो मेरी तमन्नाओं की,

सपनों की दुनिया से निकल कर,

आ जाओ महफिल में मेरी,

हर गम से दूर रख लूंगा,

फिर मेरी महफिल से,

कभी न दूर जाना…..।।

 

©पूनम सिंह, गुरुग्राम, हरियाणा   

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