आज तुम, बिन मेरे और कल मैं बिन तेरे …
(एक पिता का संदेश पुत्र के नाम)
मेरे बेटे, मेरे लाल,
रखना बस इतना ख्याल।
सुन लो मेरे दिल की जज्बात,
याद रखना बस इत्ती सी बात।।
तिनके-तिनके जोड़कर,
सपनों का घर बनाया है।
छोटी- छोटी अरमानों से,
इसको हमने सजाया है।I
इन सपनों को कभी,
यूँ ही टूटने न देना।
मेरे मन के अरमानों को,
कभी भी तुम लूटने न देना।।
दुनियाँ की हर दौलत से बढ़कर,
बेटा तू मुझको प्यारा है।
बस इत्ती सी बात समझ ले,
आज तुम मेरे बिन,
कल मैं तेरे बिन।
दोनों ही बेसहारा हैं।।
मैं आज तेरी अरमान बनूं,
तू कल मेरी पहचान बने।
मैं तेरे लिए गौरव गाथा,
तू कल मेरी अभिमान बने।।
सपनें तेरी सजाने के लिए,
दर-दर पे ठोकर खाये हैं ।
खुद जिये लाख अभावों में,
पर तेरी हर खुशी, बिसाये हैं।
बस याद रखना मेरी इत्ती बात,
कल ये होगी तेरी भी जज्बात,
वर्तमान के कश्मकश में,
सुनहरी भविष्य कोई गढ़ता है।
लिखा गया अपना इतिहास,
एक दिन कोई न कोई पढ़ता है।।
©श्रवण कुमार साहू, “प्रखर”, राजिम, गरियाबंद (छग)