लेखक की कलम से

लाक डाउन पर पाँच लघु कविताएँ …

 

(1)

 

लाक डाउन में

बंद हुए बाजार

और

विकसित हुआ

बाजारवाद।

 

(2)

 

अवकाश

को भी

मिला अवकाश,

लाक डाउन से।

 

(3)

 

घरों में चहल -पहल

सड़को ने की

चुपी धारण,

लाक डाउन के कारण।

 

(4)

 

लाक डाउन शायद,

जीवन की

गति रोक

जीवन को

बचाने की एक कवायद।

 

(5)

 

लाक डाउन के

इस विकट समय

दो बातें ही

याद आ रही है

रह -रह कर,

कोरोना का डर

और

अपना घर।

 

©डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा, राजस्थान                   

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