लेखक की कलम से
मैं और वो …
ज्ञानवर्धक घनिष्ठ संगम
मै और मेरी किताब
पढता जाता हूँ जब पन्ने
बेहिसाब, कभी पढ़ते पढ़ते
सो जाता, न होती वो नाराज
पढ़ो किताबें ज्ञान बढ़ेगा
कवियों का भी मान बढ़ेगा
पढ़ने की आदत है अच्छी
खुद का भी सम्मान बढ़ेगा
लिखने की भी आदत डालो
अपना तुम यह शौक बना लो
लिखो वही जो हो कुछ हट कर
सोचो नया और लिख डालो
मगर याद ये बातें रखना
सहज सरल भाषा में लिखना
किताबों से दोस्ती पन्नो से प्यार
मेरे दिल की स्मृतियों मे अटूट
प्यार, शब्दों से वाक्य का संगम
तुम्हे पढना मेरे मन मे तिमिर
दूर करता अज्ञान कि
कृति एक ऐसी तुम गढ़ना।
©आकांक्षा रूपा चचरा, कटक, ओडिसा