लेखक की कलम से
तेजस्वी सूरज जेसा …
तेजस्वी सूरज जेसा हो
ओर चन्द्र सी शीतलता
भारत का बच्चा-बच्चा
पढे अब रामायण गीता ।
तरूणी में हो लक्ष्मीबाई
और बालक में भगतसिंह
राष्ट्र कल्याण में जीना है
मन में हो ऐसा जज्बा ।
जान की कीमत कम नहीं पर
कर्म को आगे रखना होगा
बहुत कर लिया शांतिपाठ
अब यज्ञकुंड बनना होगा ।
युवाशक्ति ही पूँजी है
कल के उज्जवल भारत की
अडिग नीव निर्माण की रखें
अब यह कर्तव्य हमारा है।
विश्वगुरु बनकर उभरे यह
स्वप्न सजे हर आँखों में
भारतवर्ष सशक्त बनें अब
यह दृढ संकल्प हमारा है।
तेजस्वी सूरज जेसा हो
और चन्द्र सी शीतलता।
©मोहिनी गुप्ता, हैदराबाद, तेलंगाना