लेखक की कलम से

चलो सार्थक सा कुछ करते हैं …

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

सिर्फ अपने लिए ही ना जीकर,

दूसरों के लिए भी जीने का दम भरते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

सिर्फ कृष्ण कृष्ण कहने से ना होगी भलाई,

चलो आज उसके बताएं मार्ग पर चलते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

अपने बच्चों के संबल बने हम,

अब चलो कुछ अनाथों के जीवन में भी नया रंग भरते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

अपने बुजुर्गों का बनकर सहारा मिलता है जो दुआओं का खजाना,

चलो वृद्धाश्रम जाकर उस खजाने को और भरते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

सिर्फ दिखावे के लिए ही

नहीं अपनी आत्मा के सुकून के लिए भी कुछ खास सा करते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

लोग नफरत करे या दे अपनापन,

हर किसी को हम एक नजर रखते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

इस चमक-दमक की दुनिया में

कुछ सादगी व स्नह के रंग भरते हैं।

 

चलो साथ मिलकर कुछ सार्थक सा करते हैं।

 

©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

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