लेखक की कलम से
खेतों से फूलों का निमंत्रण स्वीकार करो……
आज बता दो क्या लिख डालूं
तेरे मन की भाषा या परिभाषा
लिखना केवल तुमसे तुम तक सुनो मेरी बस इतनी अभिलाषा
वर्ण वर्ण डगमग करते बिन मात्रा के तुम संग चले कमाल
तेरी मुस्कान मेरे शब्दाक्षर होते तुम कविता गीत तुम विभाषा
आज बता दो क्या लिख डालूं
तेरे मन की भाषा या परिभाषा!
©लता प्रासर, पटना, बिहार