प्रेम की होली ….
एक नई दुल्हन जो अपनी पहली होली पर अपने प्रियतम का इन्तजार कर रही है कि कब वो आये कब मैं उनके साथ होली खेलूं ,तो जब उसके प्रियतम घर आते हैं तो उसकी खुशी वो अपनी सखी से बयान करती है ,कुछ इस तरह ,प्रेम से पढ़े प्रेम की होली।
गुलाबी होरी आई रे…. प्रेम की होली आई रे
आई आई गुलाबी सुबह, गुलाबी होरी (होली) आई रे
खेलूं खेलूं जम के फाग, पिय घर आये रे
अबकी प्रीतम जब रंग लगईयो, अंग- तन, संग मन भी रंग जइयो
खेलूं नाचूं अबकि बार, फाग ऐसो भयो रे।
गली चौबारे फूलों से रंगे हैं,केसू सुगंध संग बहे बयार
फाग मोहे भायो रे…
फिजा में एक अलग सी महक है, उड़े रंग अबीर गुलाल
फाग मोहे भायो रे…
होरी खेले सारे हुरियारे, हुरियारिन छिप छिप जाये
फाग मोहे भायो रे…
जब प्रियतम मेरी पकडी जो कलैया ,चंचल मन हर्षाए
फाग मोहे भायो रे…
जब प्रियतम मोहे अंग है लगाये,रोम रोम सिहर सा जाये
फाग मोहे भायो रे…
चुनरी भी रंग दी ,चोली भी रंग दी, रंगीन हुआ सब आज
फाग मोहे भायो रे…
तन भी भिगोया,मन भी भिगोया,मन मयूर हो जाये
फाग मोहे भायो रे….
जब प्रियतम मोहे भांग पिलाई, मधुमास सा लागे आज
फाग मोहे भायो रे….
अधरों पे मेरे खुशी के कमल है,मन पुलकित हो जाये
फाग मोहे भायो रे…
पिया मिलन की चढ़ी है खुमारी, आंखों से नशा हो जाये
फाग मोहे भायो रे…
तितलीयौ की कतारे खड़ी छज्जे में, भंवरों पे रंग गिराये
फाग मोहे भायो रे…
जब मेरे पिय को कोई और रंग लगाये ,दिल धुआं धुआं हो जाये
फाग मोहे भायो रे…
मसले केसूऔ की महक सी मुझमें, फिर कैसे दूर वो जाये
फाग मोहे भायो रे…
रंग लूं खुद को पिय के रंग में,जो उतरे ना सालों साल
कैसे काबू करूं जज्बात …
कलियों के घूंघट उठने लगे हैं,भंवरे उनको रंगने लगे हैं
दिल बाग-बाग हो जाये…
ऐसों फागुन हर दिन अईयो, प्रियतम मेरे तू संग लईयो
ले लूं, ले लूं बलैया आज,फाग मोहे भायो रे…
आई आई गुलाबी सुबह, गुलाबी होरी ( होली)आई रे
खेलूं खेलूं जम के फाग,पिय घर आये रे
©ऋतु गुप्ता, खुर्जा, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश