लेखक की कलम से
प्रकृति , मानव और कोरोना …
प्रकृति और मानव का ,
जब तक संतुलित साथ रहेगा।
जीवन की धारा का,
निरंतर तभी तक विस्तार रहेगा।
कद्र मानव जब तक प्रकृति की।
नहीं करेगा।
तब तक आपदाओं का ,
ऐसे ही मचता संहार रहेगा।
प्रकृति और मानव का,
जब तक संतुलित साथ रहेगा।
मानव ने प्रकृति से ,
जब -जब है खेला ।
कभी भूकंप …..
कभी सुनामी ……
अब आकर भीषण आपदा ,
कोरोना आ घेरा।
प्रकृति को संभालो ,
यह रक्षक है मानव की ,
न दौड़ो विकास की अंधी दौड़। कहीं नहीं मिटेगी यह लंबी होड़ ।।
नाश जब -जब करोगे ।
तब -तब तुम मानव ,
प्रकृति का सामना करोंगे।
किसी न किसी ,
महामारी का सामना करोगे।
©प्रीति शर्मा “असीम”, सोलन हिमाचल प्रदेश