मध्य प्रदेश

छात्रवृत्ति घोटाले में सफेदपोश फंसे तो जांच अधिकारी को हटवाया

भोपाल। प्रदेश में शिक्षा माफिया कितना हावी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अनुसूचित वर्ग की छात्रवृत्ति घोटाला करने वाले सफेद पोश जांच अधिकारी को ही हटवा देते हैं। छात्रवृत्ति घोटाले की जांच से जुड़े ग्वालियर अजाक डीएसपी रहे मुनीष राजौरिया ने डीजीपी को पत्र लिखकर  अपना दर्द बयां किया है। जिसमें कहा है क छात्रवृत्ति घोटाले के जिन आरोपितों को सलाखों के पीछे होना था, वे खुलेआम घूम रहे हैं।

डीएसपी मुनीष राजौरिया के खुलासा किया है कि छात्रवृत्ति घोटाले में जांच के बाद छह एफआईआर ग्वालियर के अजाक और अलग-अलग थानों में हुईं थीं। इसमें कई सफेदपोश घिरे थे। नकेल कसी तो ग्वालियर से चांचौड़ा तबादला करवा दिया था। दोबारा ग्वालियर अजाक डीएसपी के तौर पर पोस्टिंग हुई तो घोटाले की फाइल खोली। अब डीएसपी अजाक के पद से हटाकर ग्वालियर जोन आइजी कार्यालय स्थानांतरित करवा दिया गया। डीएसपी राजौरिया ने कहा बार-बार शिक्षा माफिया के दबाव में हटाए जाने से दु:खी होकर प्रदेश के डीजीपी सुधीर सक्सेना और ग्वालियर जोन के एडीजी डी श्रीनिवास वर्मा से इसकी शिकायत की है। वरिष्ठ अफसरों ने डीएसपी की शिकायत को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

2018 में शिक्षा माफिया पर नकेल कसी जाने लगी तो इस मामले को ईओडब्ल्यू को ट्रांसफर कराने के नाम पर जांच रुकवाई गई। डीएसपी मुनीष राजौरिया का स्थानांतरण गुना जिले के चांचौड़ा हुआ। अब 2022 में आईटीएस कालेज के 209 छात्रों के नाम से जारी हुई 29 लाख 69 हजार 844 रुपये की छात्रवृत्ति के रिकार्ड के लिए सहायक आयुक्त पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को पत्र लिखा तो कुछ दिन बाद उन्हें हटाकर आइजी आफिस स्थानांतरित कर दिया गया।

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