मध्य प्रदेश

पारिवारिक कामों के लिए महिला पुलिस के ज्यादातर छुट्टी पर रहने की समस्या से परेशान है महकमा …

भोपाल। घर-परिवार की जिम्मेदारियों की वजह से महिला पुलिसकर्मियों की छुट्टियां बढ़ती जा रही हैं। इनमें से अधिकांश महिला पुलिसकर्मियों के पति भी पुलिस विभाग में हैं, लेकिन घरेलू कामों के लिए केवल महिला कर्मचारी ही अवकाश लेती हैं। पुलिस विभाग महिला पुलिसकर्मियों की बढ़ती छुटि्टयों की संख्या को लेकर परेशान है। ऐसे में पुलिस मुख्यालय पूरे प्रदेश में इन दंपती के बीच छुट्टियां और घरेलू काम बांटने की नई व्यवस्था शुरू करने जा रहा है। इसके लिए पुलिस मुख्यालय ऐसे जोड़ों की काउंसलिंग भी कर रहा है। हालांकि, इससे पहले प्रयोग के तौर पर होशंगाबाद जोन में इस नई व्यवस्था को लागू किया जा चुका है। जहां से बेहतर परिणाम मिले हैं। इससे उत्साहित होकर अब यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू की जाएगी।

कभी परिजन बीमार, कभी बच्चों के स्कूल में पीटीएम तो कभी घर की अन्य जिम्मेदारियों के चलते ज्यादातर महिला पुलिसकर्मियों की छुट्टियां बढ़ती जा रही हैं। इसीलिए पीएचक्यू ने यह फैसला महिला पुलिसकर्मियों के अवकाश के लिए मिल रहे आवेदन के एनालिसिस के आधार पर लिया है।

विभागीय जानकारी अनुसार पीएचक्यू की महिला सुरक्षा शाखा ने एनालिसिस में पाया कि घरेलू कामों के लिए सिर्फ महिला पुलिसकर्मी ही अवकाश ले रही हैं। ऐसे में थानों समेत अन्य शाखाओं में महिला पुलिसबल की कमी हो जाती है। इसे देखते हुए महिला सुरक्षा शाखा ने सभी आईजी और एसपी को कहा है कि सभी पुलिस जोड़ों की काउंसलिंग करें और उन्हें घरेलू काम को आपस में मिल बांटकर करने के लिए प्रोत्साहित करें।

काउंसलिंग के बाद ट्रेनिंग प्रोग्राम भी आयोजित किया जाए, जिसमें महिला पुलिसकर्मी के लिए काम करने के लिए कैसे अनुकूल घरेलू वातावरण बनाएं, यह सिखाया जाए।

महिला सुरक्षा शाखा ने छुट्टियों के आवेदन के एनालिसिस के बाद पाया कि महिला पुलिसकर्मियों के 80 फीसदी आवेदन घरेलू जिम्मेदारी के लिए होते हैं। इनमें कभी परिजन बीमार, कभी बच्चों के स्कूल में पीटीएम तो कभी घर की अन्य जिम्मेदारियां कारण होते हैं। जबकि, सूत्रों के अनुसार कुल उपलब्ध महिला पुलिसबल में से करीब 8 प्रतिशत महिला पुलिसकर्मी मैटरनिटी या चाइल्ड केयर अवकाश पर होती हैं।

प्रदेश के नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जोन में यह व्यवस्था पूर्व में लागू की जा चुकी है, जिसके सार्थक परिणाम सामने आए हैं। नर्मदापुरम आईजी दीपिका सूरी ने इसी साल मार्च में दो दिवसीय सम्मेलन किया था। इसमें सामने आया था कि महिला पुलिसकर्मियों को घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ती हैं, इसमें उनके पुलिसकर्मी पति कोई जिम्मेदारी नहीं उठाते। इस कारण उन्हें अवकाश लेना पड़ता है। इसके बाद, आईजी ने नर्मदापुरम जिले के 26 पुलिस जोड़ों के लिए काउंसलिंग और ट्रेनिंग प्रोग्राम का आयोजन किया था।

नर्मदापुरम जोन की आईजी दीपिका सूरी ने बताया कि प्रदेश के पुलिस महकमे में अभी महिला पुलिसकर्मियों का प्रतिशत करीब 6.5% है, जबकि देश में यह करीब 10% है। यह प्रतिशत आने वाले समय में और बढ़ेगा। अपनी नौकरी के साथ दोनों पार्टनर मिलकर घरेलू काम करेंगे तो काम आसानी और बेहतर तरीके से हो जाएंगे। काउंसलिंग में यही बात बताई जा रही है।

वहीं, महिला सुरक्षा शाखा की एडीजी प्रज्ञा ऋचा श्रीवास्तव के अनुसार महिला पुलिसकर्मियों को काम करने का अनुकूल वातावरण मिले इसके लिए परिवार की भूमिका महत्वपूर्ण है। बढ़ती छुटि्टयों की समस्या को लेकर अभी केवल पुलिस विभाग में कार्यरत दंपती की काउंसलिंग की जाएगी। बाद में पूरे प्रदेश में बाकी महिला पुलिसकर्मियों की काउंसलिंग की जाएगी।

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