मध्य प्रदेश

अवैध उत्खनन, अवैध कब्जे व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे वीडी शर्मा को कमलनाथ पर बोलने का अधिकार नहीं

पूर्व मंत्री तरुण भनोट ने किया भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पर पलटवार, बोले-, कृषि विस्तार अधिकारी चयन में भ्रष्टाचार की जांच किसके इशारे पर रोकी गई

भोपाल। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ पर लगाए आरोपों पर पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस विधायक तरुण भनोट ने पलटवार किया है। भनोट ने कहा कि शर्मा उन कमलनाथ पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं जिनके ऊपर 45 साल के राजनीतिक जीवन में आज तक एक पैसे का आरोप नहीं लगा है। प्रदेश का नव निर्माण करने वाले कमलनाथ पर झूठे और हास्यास्पद आरोप लगाकर शर्मा ने यह साबित कर दिया है कि उनकी राजनीति झूठ, फरेब, षड्यंत्र और सौदेबाजी पर टिकी है। अवैध उत्खनन, अवैध कब्जे व भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे वीडी शर्मा को कमलनाथ पर बोलने का अधिकार नहीं है।

भनोट ने कहा पूरा प्रदेश जानता है कि पन्ना जिले में अवैध रेत खनन का सबसे बड़ा माफिया कौन है। वहां अवैध खनन किसके लोग करते हैं। शर्मा जनता को बताएं कि अवैध खनन के पीछे उनका हाथ है या नहीं? भनोट ने कहा कि राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बुंदेलखंड में अवैध उत्खनन और जमीन पर अवैध कब्जों के मामले में साक्ष्यों सहित बीडी शर्मा के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की है। यह जांच किसके इशारे पर रोकी गई है? भनोट ने पूछा कि कृषि विस्तार अधिकारी के चयन में भ्रष्टाचार करने वाले कौन हैं? विधानसभा में निष्पक्ष जांच के कराने की घोषणा करने वाले सीएम ने उन्हें क्यों बचा रखा है? प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के अधिकांश प्रोफेसर रजिस्ट्रार से मासिक उगाही करने वाला कौन है? शर्मा बताएं कि आखिर वह क्या वजह है कि उनके परिवार के लोगों को ही नियमों को ताक पर रखकर वाइस चांसलर और दूसरे सरकारी पदों पर तैनात कर दिया जाता है। शर्मा बताएं कि विक्रम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सभरवाल पर जब एबीवीपी के गुंडों ने हमला किया था तो उनको संरक्षण देने वाला नेता कौन था? भनोट ने कहा शर्मा और उनकी पार्टी घोटालों की डायरेक्टर, प्रोड्यूसर और डिस्ट्रीब्यूटर है। मामा की कमीशनराज सरकार को वीडी शर्मा के कारनामों पर ‘करप्ट फाइल्स’ फिल्म बनानी चाहिए। कमलनाथ ने अपना पूरा जीवन प्रदेश के विकास को समर्पित किया है और वे राजनीतिक जीवन में ईमानदारी और सच्चाई का जीता जागता उदाहरण हैं। निश्चित तौर पर भाजपा विधानसभा के चुनाव में बुरी तरह से हारने वाली है, इसलिए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सारी राजनीतिक गरिमा छोडक़र ओछे बयान देने लगे हैं।

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