रायपुर

रायपुर मेयर के लिए एजाज़, ज्ञानेश और अजीत के नाम पर सबसे ज्यादा वजन, प्रमोद बनाए जा सकते हैं सभापति

रायपुर {दीपक दुबे} । रायपुर नगर निगम की नई निर्वाचित परिषद को आरूढ़ होने में हालांकि अभी कुछ वक्त बाकी है लेकिन महापौर के लिए गुण-गणित ने तेजी पकड़ ली है। कौन होगा महापौर, इस पर कयास लगने शुरु हो गए हैं। कांग्रेस के भीतर चर्चा है कि रायपुर महापौर पद को लेकर कोई चौंकाने वाला समीकरण बिठाया जा सकता है। नई लीडरशिप खड़ा करने एजाज़ ढेबर, ज्ञानेश शर्मा या अजीत कुकरेजा में से किसी को महापौर की जिम्मेदारी देने पर गंभीरता से सोचा जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो निवर्तमान महापौर प्रमोद दुबे के सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं होने देते हुए उन्हें सभापति जैसे संवैधानिक पद की अहम् जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।

माना जा रहा है कि प्रदेश के जिन नगर निगमों में चुनाव हुए वहां के महापौरों की तस्वीर 15 जनवरी के आसपास स्पष्ट होने की संभावना है। फिर भी रायपुर के अलावा कुछ ऐसे हाई प्रोफाइल नगर निगम हैं, जहां के महापौर पद के लिए अंदरुनी तौर पर कांग्रेस के भीतर चिंतन मनन शुरु हो गया है। ज्यादातर लोगों के मन में यह सवाल कौंध रहा है कि रायपुर का महापौर कौन होगा?

सूत्रों के मुताबिक रायपुर महापौर को लेकर बड़े नेताओं की सोच दूर की कौड़ी लाने वाली हो सकती है। रायपुर के बारे में माना जाता है कि यहां कांग्रेस में युवा नेताओं की कमी नहीं लेकिन बड़े स्तर पर दो ही नाम स्थापित हो पाए प्रमोद दुबे व विकास उपाध्याय। कांग्रेस के स्थानीय दिग्गज नेता भलीभांति जानते हैं कि रायपुर बरसों से भाजपा का गढ़ रहा है।

2018 के विधानसभा चुनाव के समय से रायपुर में कांग्रेस पहले की तुलना में मजबूत जरूर हुई लेकिन आज भी इस शहर में भाजपा के हिस्से में ऐसे कई बड़े चेहरे हैं जिनकी प्रदेशव्यापी पहचान है। हाल ही में हुए रायपुर नगर निगम चुनाव में महापौर का लक्ष्य लेकर प्रमोद दुबे, एजाज़ ढेबर, ज्ञानेश शर्मा एवं अजीत कुकरेजा जैसे खिलाड़ी चुनावी मैदान में उतरे और चारों के चारों जीते।

एजाज़ ढेबर ने तो 4 हजार 442 मतों से जीत दर्ज कर पूरे प्रदेश में कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। 25 दिसंबर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रायपुर में प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान एजाज़ की जीत का बड़े गर्व के साथ उल्लेख भी किया। बहरहाल महापौर के पद के चारों दावेदारों की जीत ने  पार्टी के बड़े नेताओं को असमंजस की स्थिति में ला खड़ा कर दिया है। प्रमोद दुबे जहां 2014-2019 के कार्यकाल में महापौर रह चुके हैं वहीं ज्ञानेश शर्मा चारों में सबसे ज्यादा अनुभवी हैं व पूर्व में दो बार पार्षद रह चुके हैं। वहीं एजाज़ को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का काफी करीबी माना जाता है। यदि इन तीनों नामों ने बड़े नेताओं को  ज्यादा उलझाया तो हो सकता है कि अजीत कुकरेजा के नाम पर अलग से विचार हो, लेकिन पार्टी में बड़े स्तर पर सोचा यही जा रहा है कि रायपुर महापौर के रास्ते नई युवा लीडरशिप उभरे। प्रमोद दुबे तो स्थापित नेता हैं ही, यदि अन्य तीन में से कोई एक नाम महापौर के लिए आगे बढ़ाया गया तो संतुलन बनाए रखने सभापति पद को लेकर नया प्रयोग हो सकता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा को ध्यान में रखते हुए नया खाका तैयार करने की कोशिश हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीट पर भारी भरकम जीत दर्ज की तब मुख्यमंत्री पद के लिए भूपेश बघेल, डॉ. चरणदास महंत, टी,एस. सिंहदेव एवं ताम्रध्वज साहू जैसे बड़े नाम उभरकर सामने आए थे। जैसा कि डॉ. महंत इन चारों में वरिष्ठ थे व प्रदेश (मध्यप्रदेश) एवं केन्द्र सरकार में मंत्री पद का दायित्व भी सम्हाल चुके थे, अतः संतुलन कायम करने के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष पद की महत्वपूर्ण  जिम्मेदारी दी गई, जिसे उन्होंने खुशी-खुशी स्वीकार भी किया।

मुख्यमंत्री की तरह रायपुर महापौर के लिए भी चार नाम चले हुए हैं। माना जा रहा है कि डॉ. महंत के शीर्ष सम्मान को बनाए रखने जो फार्मूला अपनाया गया उसी पर चलते हुए प्रमोद दुबे को रायपुर नगर निगम सभापति जैसे संवैधानिक पद का दायित्व सौंपे जाने पर बड़े नेताओं के बीच गहन विचार विमर्श हो सकता है।

Back to top button