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13 लाख में सिर्फ 13 हजार महिलाओं को मिल रहा पूरक पोषण आहार, 22 लाख में 2 लाख बच्चों का वजन मापा, कैसे हो एनिमिया से बचाव …

बिलासपुर । छत्तीसगढ़ में एनिमिया अभियान बिलासपुर समेत कई जिलों में फेल है। ऐसा हम नहीं बल्कि शासन का वह पोषण ट्रैकर डेशबोर्ड कह रहा, जिससे ही राज्य और केंद्र सरकार एनिमिया अभियान की निगरानी में लगी है। महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव भुवनेश यादव ने इस पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने 28 जिलों के कलेक्टर को अक्टूबर महीने का वह रिकॉर्ड भेजकर एनिमिया से बचाव अभियान में तेजी और पोषण ट्रैकर में इसकी एंट्री करने की बात कही है। पोषण ट्रैकर से ही महिलाओं को पूरक पोषण आहार वितरित करने के अलावा बच्चों के वजन मापन की वह सारी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही।

बिलासपुर के 96 हजार तो बलरामपुर के 61 हजार और गौरेला पेंड्रा मरवाही की 17 हजार महिलाओं को पूरक पोषण आहार वितरण नहीं किया जा रहा। ये हालात पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय है। इसके पीछे महिला बाल विकास विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बिलासपुर के एक लाख 47 हजार बच्चों में सिर्फ 342 बच्चों का वजन मापन किया गया है। वहीं रायपुर, कोरबा, जांजगीर चांपा में इसपर अनदेखी जा रही है।

सचिव ने खुद ही सारे अधिकारियों को लिखा है कि बच्चों एवं महिलाओं में व्याप्त कुपोषण की दर में कमी लाने के उद्देश्य से संचालित पोषण अभियान में लगातार लापरवाही बरती जा रही है। उन्हांेने कलेक्टरों को लिखा है कि इस कार्यक्रम के तहत सूचना औद्योगिकी आधारित वास्तविक समय में निगरानी के लिए पोषण ट्रैकर एप विकसित किया गया है। इस एप के माध्यम से आरआरएस और एमआरपी रिपोर्टिंग प्रणाली के जरिए आंगनबाड़ी सेवाओं का डाटा अपलोड किया जा रहा है।

यह भी बताया गया है कि आने वाले दिनों में केंद्र सरकार आरआरएस रिपोर्टिंग प्रणाली को विलोपित कर पोषण ट्रैकर के जरिए आईसीडीएस और पूरक पोषण आहार कार्यक्रम समेत किशोरियों और बालिकाओं के लिए संचालित योजना एवं पोषण अभियान की निगरानी करेगी और इसी के आधार पर अनुदान जारी किया जाएगा। फिर भी इसकी एंट्री में बड़ी लापरवाही जारी है। उन्होंने कलेक्टरों को इसकी जिम्मेदारी देकर इसे दूर करने के लिए कहा है।

रायपुर में 84217 गर्भवती व प्रसूताओं में सिर्फ 6895 को पूरक पोषण अभियान का लाभ मिल रहा। दुर्ग में 59174 में से 17626, धमतरी में 37147 में सिर्फ 4205, कोरबा में 63387 में 5820, महासमुंद में 55876 में 882, रायगढ़ में 68780 में 25, जांजगीर चांपा में 94977 में सिर्फ 66, जशपुर में 44422 में 8, बिलासपुर में 96310 में सिर्फ 20 को पूरक पाेषण आहार का वितरण किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल क्षेत्र में बीजपुर में 16410 गर्भवती- प्रसूताओं में से शून्य, कांकेर में 35977 में शून्य, नारायणपुर में 8348 में शून्य, कोंडागांव में 34571 में सिर्फ 8, दंतेवाड़ा में 15560 में सिर्फ 84, सुकमा में 16531 में 52, सरगुजा में 53850 में 289, कोरिया में 37669 में सिर्फ 4 को पोषण आहार दिया जा रहा है। पूरे राज्य में 13 लाख महिलाओं में सिर्फ 81213 महिलाओं को ये आहार वितरित किया जा रहा और राज्य में प्रतिशत के आधार के हिसाब से सिर्फ 5.86 प्रतिशत जरूरतमंदों को इसका लाभ मिल रहा है।

राज्य में 2246628 बच्चों में सिर्फ 203630 बच्चों को वजन मापन किया गया है। रायपुर में 137129 में 5341 बच्चों, कोरबा में 104125 में 7641, जीपीएम में 29164 में शून्य, बीजापुर में 29164 में शून्य, जांजगीर चांपा में 160440 में 415, बिलासपुर में 147532 में 346, सूरजपुर में 81342 में 68, कोंडागांव में 57163 में 1500 और दंतेवाड़ा में 26076 में 121 बच्चों का वजन मापन किया गया है।

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