मध्य प्रदेश

नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए अब मध्य प्रदेश में अब देनी होगी 25 लाख बैंक गारंटी ….

भोपाल। मप्र में प्रायवेट नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाडे लगातार सामने आ रहे हैं। ग्वालियर-चंबल संभाग क्षेत्र में तो ढाई सौ से ज्यादा नर्सिंग कॉलेजों में बडे़ पैमाने पर गड़बडियां मिलीं। जब मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा तो कोर्ट की सख्ती के बाद प्रायवेट नर्सिंग कॉलेजों पर कार्रवाई शुरू की गई। इसके साथ ही राज्य सरकार ने अब प्रायवेट नर्सिंग कॉलेज खोलने के नियमों में भी बदलाव किया है।

मप्र के चिकित्सा शिक्षा विभाग के उप सचिव केके दुबे ने बताया कि नए नियम के मुताबिक अब प्रायवेट नर्सिंग कॉलेज खोलने के लिए संस्था के पास खुद की अकेडमिक बिल्डिंग होनी चाहिए। खुद का अकेडमिक भवन न होने पर ऑनलाइन आवेदन करते समय नर्सिंग कॉलेज खोलने वाली संस्था को 25 लाख रुपए की बैंक गारंटी के साथ शपथ पत्र देना होगा और उस संस्था को 5 साल के भीतर अपनी खुद की बिल्डिंग बनानी होगी। 5 साल में बिल्डिंग न बनाने पर नर्सिंग कॉलेज की संचालक संस्था द्वारा जमा की गई 25 लाख की बैंक गारंटी जब्त हो जाएगी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने यह किए नियमों में प्रमुख बदलाव

  1. –  नियमों को ताक पर रखकर खुल रहे नर्सिंग कॉलेजों पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा सख्ती की गई है। नियमों में बदलाव के बाद अब नर्सिंग कॉलेज की अकेडमिक बिल्डिंग लीज पर लेने के लिए समिति के पांच सदस्यों और नर्सिंग कॉलेज के बीच 30 साल की लीज डीड रजिस्टर्ड होने पर ही मान्य की जाएगी।
  2. –  नर्सिंग कॉलेज में संचालित सभी कोर्सेज के लिए पैरेंट हॉस्पिटल में बिस्तर ज्यादा उपलब्ध होने पर दूसरे नर्सिंग कॉलेज को भी बाकी बिस्तरों के आधार पर संबद्धता दी जा सकेगी।
  3. –   अब एक जिले में किसी भी समिति, ट्रस्ट या कंपनी एक नर्सिंग कॉलेज संचालित कर रही है तो वह उसी जिले में नया नर्सिंग कॉलेज संचालित नहीं कर पाएगी।
  4. –  जिले में पहले से चल रहे नर्सिंग कॉलेज के नाम से या उससे मिलते जुलते नाम या शॉर्ट नाम से नए नर्सिंग कॉलेज के आवेदन मान्य नहीं किए जाएंगे।

 

कोरोना संकट के दौरान जब संक्रमितों की संख्या बढ़ने लगी तो मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ गए। जबकि, नर्सिंग कॉलेजों की संख्या के हिसाब से करीब एक लाख बिस्तर प्रदेश में होने चाहिए। जब यह मामला मीडिया की सुर्खियां बना और हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई। कोर्ट ने 10 सदस्यीय जांच समिति बनाकर नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के निर्देश दिए, लेकिन नर्सिंग कॉलेजों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए यह तर्क दिया कि नर्सिंग कॉलेजों की जांच नर्सिंग काउंसिल की समिति करती है, उसी के जरिए जांच कराई जाए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जब जांच हुई तो फर्जी नर्सिंग कॉलेजों की हकीकत सामने आ गई। जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट में 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता खत्म करने की अनुशंसा की।

मप्र हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में नर्सिंग कॉलेजों के फर्जीवाडे को लेकर याचिका दायर की गई थी। दो-चार कमरों में चल रहे नर्सिंग कॉलेजों को नियम विरुद्ध तरीके से मान्यता देने के मामले पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद अब तक करीब 70 नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता रद्द की जा चुकी है। अभी प्रदेश में करीब 200 नर्सिंग कॉलेज और ऐसे हैं, जो नियमों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं।

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