मध्य प्रदेश

मंत्री कमल पटेल का विवादित बयान : पूर्व सीएम कमलनाथ की तुलना बालीवुड के खलनायक से की, सोशल मीडिया पर खूब हो रहे ट्रोल

कमल पटेल बोले- गुलशन ग्रोवर की तरह दिखते हैं कमलनाथ, शिवराज को बताया नायक

हरदा। मध्यप्रदेश में हालांकि अभी चुनाव को लगभग आठ माह का समय शेष है, लेकिन दोनों ही प्रमुख दलों भाजपा एवं कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। अब प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल का एक विवादित बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने पूर्व सीएम कमलनाथ की तुलना बॉलीवुड के विलेन गुलशन ग्रोवर से की है। कमल पटेल ने कहा कि फिल्मों में विलेन गुलशन ग्रोवर के रोल कमलनाथ को दिए जाने चाहिए। प्रदेश में कमलनाथ खलनायक की भूमिका में हैं और नायक शिवराज सिंह हैं। कमलनाथ अपने कर्मों से 15 महीने में ही डूब गए।

एमपी के कृषि मंत्री तथा हरदा विधायक कमल पटेल ने शनिवार को यह बयान अपने गृह नगर हरदा में मीडिया से चर्चा करते हुए दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सरकार में मंत्रालय दलाली का अड्डा बना हुआ था। ट्रांसफर को उद्योग बना दिया गया था। यही नहीं, विकास का पैसा भी कमलनाथ और उनका परिवार डकार गया। यही वजह है कि उनके यहां छापे तक पड़े थे। मध्यप्रदेश में नायक तो सिर्फ शिवराज सिंह चौहान हैं। इसीलिए वे जनता के चहेते भी हैं। कमल पटेल यहीं नहीं रुके, उन्होंने यहां तक कह दिया कि जब कमलनाथ मध्यप्रदेश में आइफा अवार्ड करवा रहे थे तो मुंबई से हीरो हीरोइन बुलाए गए थे, उनकी कमर में हाथ डाला और घूरकर देखा, इससे साफ पता चलता है कि कमलनाथ विलेन गुलशन ग्रोवर की भूमिका ले सकते हैं। कृषि मंत्री के इस बयान की लोग काफी चर्चा कर रहे हैं। दरअसल, उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है और इस बयान को लेकर वे खूब ट्रोल हो रहे हैं। लोग उन पर तरह-तरह से तंज भी कस रहे हैं।

कमल पटेल का विवादों से है पुराना रिश्ता

हरदा विधायक कमल पटेल दूसरी बार मंत्री बने हैं। उमा भारती सरकार में वे राजस्व मंत्री रह चुके थे, लेकिन, पार्टी में अंतरविरोधों के चलते धीरे-धीरे पटेल साइड लाइन होने लगे थे। यहां तक कि उन्हें मंत्री पद से भी हाथ धोना पड़ा था। वहीं पार्टी में भी उन्हें साइड लाइन कर दिया गया था। इसके बाद वे अपनी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष से भिड़ गए थे और अपनी ही सरकार को घेरने में जुट गए थे। लगातार बयानबाजी और रेत खनन का मामला उठाकर कमल पटेल अपनी ही पार्टी की सरकार को घेर रहे थे। तब उनकी मुश्किलें बढ़ गई थीं और उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने नोटिस का जवाब देने को कहा था। उस समय पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने वाली थी। कमल पटेल आसपास के कलेक्टरों और एसपी को हटाने की मांग जोर-शोर से कर रहे थे।

बेटे को बचाने लगा दिया था पूरा जोर

दरअसल, कमल पटेल के बेटे को 5 मार्च 2008 को हुए दुर्गेश जाट हत्याकांड में जिला बदर कर दिया गया था। उस पर 14 मामले दर्ज थे। अपने बेटे को बचाने की कवायद में  प्रदेशाध्यक्ष से भी सिफारिश कराने का प्रयास किया था। सप्ताहभर पहले ही कमल पटेल ने प्रदेश अध्यक्ष के पुत्र हर्षवर्धन का बचाव किया था। वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ हरदा में शराब के नशे में हंगामा कर रहे थे और पुलिसकर्मियों से दुर्व्यवहार करते पकड़ा गए थे। इस मामले में उनके बेटे और रिश्तेदारों पर तो कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ, उलटा तीन पुलिसकर्मियों को ही लाइन अटैच कर दिया गया था। इसके बाद कमल पटेल चाहते थे कि संगठन उनके बेटे को जिला बदर होने से बचाए। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। इससे कमल पटेल काफी खफा हो गए थे। दुर्गेश जाट हत्याकांड मामले में सीबीआई ने कमल पटेल को साक्ष्य छुपाने का आरोपी बनाया।- जांच के बाद 2011 में यह प्रकरण इंदौर सीबीआई कोर्ट से हरदा जिला न्यायालय ट्रांसफर किया गया था।- 20 जुलाई 2011 को मामले में सुनवाई करते हुए हरदा एडीजे कोर्ट से कमल पटेल को दोषमुक्त कर दिया था।–इसके खिलाफ दुर्गेश जाट के पिता रामविलास जाट और सीबीआई ने अपील की, लेकिन उच्च न्यायालय जबलपुर ने हरदा एडीजे कोर्ट के फैसले को सही ठहराया।

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