मध्य प्रदेश

मध्यप्रदेश: विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकार, सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित

स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव को संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा द्वारा अस्वीकार करने का प्रस्ताव सदन ने ध्वनिमत से किया पारित

भोपाल। विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव को सदन ने मंगलवार को अस्वीकार कर दिया। हालांकि, अध्यक्ष ने इसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए 27 मार्च को सदन में प्रस्तुत करने की व्यवस्था दी थी, लेकिन सत्ता पक्ष ने इस पर आपत्ति जताई। संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा और लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि यह प्रस्ताव न तो नियम के अनुरूप है और न ही ऐसी कोई परंपरा है। यदि इसे स्वीकार किया जाता है तो गलत परंपरा बनेगी। इसके बाद नरोत्तम मिश्रा ने प्रस्ताव रखा कि इसे अस्वीकार किया जाए। सदन ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया और प्रस्ताव अस्वीकृत हो गया। मंगलवार को सदन में बजट भी पारित हो गया। इसके बाद मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित कर दी गई है। इसके साथ ही बजट सत्र का तय अवधि से 6 दिन पहले ही समापन हो गया।

दरअसल, कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बजट सत्र की शेष कार्यवाही से निलंबित करने से विपक्ष नाराज हो गया था। इसी के चलते नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह सहित कांग्रेस के 48 विधायकों द्वारा विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था। इस पर संसदीय कार्य मंत्री ने सदन में कहा कि अध्यक्ष के विरुद्ध केवल संकल्प लाया जा सकता है। कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी को बजट सत्र की शेष कार्यवाही से निलंबित करने का निर्णय अध्यक्ष का नहीं, बल्कि सदन का था। हमारा प्रस्ताव मतदान के माध्यम से पारित हुआ था। प्रस्ताव सुबह साढ़े दस बजे के पहले मिलना चाहिए था, वह भी नहीं हुआ इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

अध्यक्ष ने कार्य संचालन नियम का उल्लेख करते हुए कहा कि अध्यक्ष को हटाने के लिए संकल्प की सूचना देने का प्रविधान है। आसंदी पर आने के बाद यह प्राप्त हुआ। परीक्षण उपरांत 17 मार्च को इसे अस्वीकार करने का आदेश पारित किया। इसके बाद भी सदन की उच्च परंपराओं को ध्यान में रखते हुए इसे स्वीकार या अस्वीकार करने के लिए सदन में रखने के लिए 27 मार्च नियत करता हूं। विपक्ष ने इस पर संतुष्टि जताई, परंतु संसदीय कार्य मंत्री ने आपत्ति उठाते हुए कहा कि आपने भले ही बड़ा मन दिखाया हो, पर जब संकल्प आया ही नहीं तो फिर तारीख किस बात की।

गोपाल भार्गव ने कहा कि विधानसभा हो या संसद, नियम, परंपरा और संविधान के अनुसार चलती है। आप भले ही निर्लिप्त हों पर ऐसी परिपाटी न बनाएं। तीन बजे जब दोबारा सदन की कार्यवाही प्रारंभ हुई तो संसदीय कार्य मंत्री ने फिर व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए प्रस्ताव रखा कि इसे अस्वीकार किया जाए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने संकल्प ही रखा है पर उनकी बात को अनसुना कर दिया गया और अध्यक्ष ने सदन में संसदीय कार्य मंत्री के प्रस्ताव पर मतदान कराया। इसमें ध्वनिमत से अविश्वास प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया गया।

कांग्रेस बोली : तानाशाही पर उतर आई है सरकार

सदन के बाहर मीडिया को अपना प्रस्ताव दिखाते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि हमने संकल्प ही दिया था, पर सरकार तानाशाही पर उतर आई है। कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। एकतरफा कार्यवाही संचालित की जा रही है। तानाशाही तरीके से सदन समाप्त करने का षड्यंत्र रचा है। जब अध्यक्ष ने तारीख तय कर दी, उसके बाद उसे अस्वीकार कराया गया। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कहा कि सदन में संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने झूठ बोला। हमने संकल्प दिया था। कुल मिलाकर इनको हाउस नहीं चलाना है। कोई न कोई बहाना चाहिए। विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा- 3 मार्च को प्रमुख सचिव को लिखा- मध्यप्रदेश विधानसभा प्रक्रिया तथा कार्य संचालन नियम के तहत अध्यक्ष को पद से हटाने के लिए संकल्प की सूचना दी है। बीजेपी बोल रही है कि संकल्प नहीं है, यह संकल्प ही है।

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