नई दिल्ली

लखीमपुर हिंसा : टेनी के बेटे को झटका, जिला जज ने खारिज की किसान, पत्रकारों का हत्यारा आशीष मिश्रा सहित 5 की जमानत अर्जी ….

लखीमपुर खीरी। लखीमपुर के तिकुनिया में 3 अक्टूबर को हुए बवाल में चार किसानों समेत 5 की मौत हुई थी। इस मामले में देश के गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष समेत 13 आरोपी जेल में बन्द हैं। लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्‍यमंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा सहित पांच आरोपियों की जमानत जिला जज ने खारिज कर दी है। एसआईटी की रिपोर्ट में लखीमपुर कांड में किसानों की मौत को साजिशन हत्‍या बताए जाने के बाद आशीष को अदालत से यह झटका लगा है। गौरतलब है कि लखीमपुर हिंसा मामले में धाराओं में बदलाव होने के बाद जिला जज की अदालत में सोमवार को सुनवाई थी।

एसआईटी ने आशीष मिश्र अंकित दास को लखनऊ से गिरफ्तार किया था। उसके अलावा इस मामले में लवकुश, आशीष पांडे, शेखर भारती, लतीफ उर्फ काले, शिशुपाल, नंदन सिंह विष्ट, सत्यम त्रिपाठी उर्फ सत्य प्रकाश, सुमित जायसवाल, धमेन्द्र, रिंकू राना और उल्लास त्रिवेदी जेल में है। किसानों का आरोप है कि जिस एसयूवी से कुचले जाने से किसानों की जान गई, वह गाड़ी अजय मिश्र टेनी की है और उसे उनका पुत्र आशीष मिश्र चला रहा था। काफी जद्दोजहद के बाद पुलिस ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर नौ अक्टूबर को आशीष को गिरफ्तार किया था।

इसके पहले भी आशीष की ओर से जमानत याचिका दाखिल की गई थी जिसे जिला जज ने खारिज कर दिया था। इसके बाद शनिवार को आशीष की ओर से दोबारा जमानत अर्जी लगाई गई थी। इस अर्जी पर आज सुनवाई हुई।

गौरतलब है कि पिछले दिनों एसआईटी ने हादसे की धाराएं हटाकर उनकी जगह पर हत्या के प्रयास, अंग भंग, एक राय होकर क्राइम करना व असलहों के दुरुपयोग की धारा बढ़ दी थी। विवेचक ने रिमांड फ़ाइल और अदालती मुकदमे में इन धाराओं को बढ़ाने के लिए कोर्ट में एप्लिकेशन दी थी। जिस पर आज सभी आरोपी कोर्ट तलब किये गए थे।

खास बात है कि एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में माना है कि यह क्राइम किसी लापरवाही का नतीजा नहीं, बल्कि जानबूझकर, साजिशन और जान लेने की नीयत से किया गया अपराध है। इस खुलासे के बाद सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या के बजाय हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है।

एसआईटी ने अब सभी आरोपियों पर 307, 326, 302, 34,120 बी,147, 148,149 के तहत मामला दर्ज किया है। इससे पहले लखीमपुर कांड के गुनहगारों पर आईपीसी की धारा 279, 338, 304 ए के तहत कार्रवाई की जा रही थी।

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