छत्तीसगढ़बिलासपुर

अजब यूनिवर्सिटी, “एयू” की सीनियॉरिटी लिस्ट में ऐसे लोगों के नाम जिनकी 3 साल पहले मृत्यु हो गई या रिटायर हो गए, पढ़ा रहे लोगों के नमा लिस्ट से बाहर …

बिलासपुर । अजब यूनिवर्सिटी (अटल यूनिवर्सिटी) ने सीनियॉरिटी को लेकर अंतिम सूची जारी कर दी है। हर बार की तरह इस बार भी यूनिवर्सिटी का अकादमी विभाग और स्क्रूटनी कमेटी ने बिना जांचे ही सीनियॉरिटी लिस्ट जारी कर दी है। एयू (अजब यूनिवर्सिटी) की सीनियॉरिटी लिस्ट में ऐसे नाम शामिल हैं, जिनकी 3 साल पहले की मृत्यु हो चुकी है। यही नहीं जो सेवानिवृत्त हो गए हैं और जो लोग नौकरी छोड़ दिए हैं, उनके नाम भी यूनिवर्सिटी की इस लिस्ट में है।

विडंबना है कि जो लोग पढ़ा रहे हैं, उनके नाम इस लिस्ट से गायब कर दिए गए हैं। इसकी शिकायत होने के बाद भी इसे सुधारा नहीं गया है। पिछले साल भी एयू के अकादमी विभाग के अधिकारी ने ऐसी लिस्ट जारी की थी, शिकायत के बाद अधिकारियों ने जवाब दिया कि अब इसमें सुधार नहीं हो पाएगा लेकिन अगले सत्र में सुधारा जाएगा, जबकि इस सत्र में भी एयू ने वैसी ही लिस्ट जारी कर दी है।

अब जिन शिक्षकों के नाम नहीं है, उनका कहना है कि अकादमी विभाग की अधिकारी अपने कक्ष में मिलती ही नहीं हैं। शिक्षकों का ये भी कहना है कि यूनिवर्सिटी के उच्चाधिकारी यूनिवर्सिटी के अन्य विभाग व कॉलेजों की गलती पर तो तुरंत जांच कमेटी बना देते हैं।

एयू ने नई सीनियॉरिटी लिस्ट प्रभारी कुलसचिव व उपकुलसचिव के हस्ताक्षर से जारी की है। इसके पहले एयू ने सीनियॉरिटी लिस्ट के लिए स्क्रूटनी कमेटी भी बनाई थी। इसमें एक कार्यपरिषद के सदस्य और दो प्राध्यापक शामिल थे। वहीं यूनिवर्सिटी अक्टूबर में मृत शिक्षकों की जानकारी लाल स्याही से अंकित कर कॉलेजों से जानकारी मांगी थी, फिर भी कॉलेजों ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई।

इस काम आती है सीनियॉरिटी लिस्ट

यूनिवर्सिटी की सीनियॉरिटी लिस्ट से एयू बोर्ड ऑफ स्टडी की कमेटी बनती है। इसके अलावा विद्या परिषद, कार्यपरिषद के सदस्य भी बनाए जाते हैं। पेपर सेटिंग और उत्तरपुस्तिका का मूल्यांकन भी शिक्षकों को सीनियॉरिटी लिस्ट के अनुसार दिया जाता है। परीक्षा के केंद्राध्यक्ष, जांच कमेटी, प्रायोगिक परीक्षाओं के लिए बाह्य परीक्षक की नियुक्ति भी इसी लिस्ट होती है। ऐसे में लिस्ट में मृत लोगों के नाम होने से सत्र को दौरान बनने वाली कमेटी में भी रखे जा सकते हैं। ऐसा एक विभाग में नहीं बल्कि सभी विभागों में हुआ है।

22 बीएड कॉलेजों में मात्र दो में एचओडी, फिर भी प्रवेश व परीक्षा

एयू के अधिकारियों की मिलीभगत से बीएड कॉलेज चल रहे हैं, ये घोषणा एयू के अधिकारियों ने ही सीनियारिटी लिस्ट में की है। 22 कॉलेजों में मात्र दो कॉलेज में एचओडी हैं। तीन कॉलेजों में प्राचार्य हैं, फिर भी अन्य कॉलेजों में प्रवेश और परीक्षा ली जा रही है।

कहां पढ़ा रहे, ये भी जानकारी गलत

केमेस्ट्री के अविनाश पांडेय को डीपी विप्र में पदस्थ बताया जा रहा है। जबकि वे अब दूसरी जगह हैं। अंग्रेजी के असीम राजलाल को जेपी वर्मा कॉलेज में बताया जा रहा है, पर ये मरवाही में प्रभारी प्राचार्य हैं। प्रमिला देव मीरी को जेपी वर्मा में बताया जा रहा है, पर वे कोटा में हैं। साइंस कॉलेज के डीके श्रीवास्तव की भर्ती बॉटनी में हुई, पर इनको माइक्रोबायोलॉजी के सीनियॉरिटी लिस्ट में दिखाया जा रहा है। वहीं जूलॉजी के अश्वनी कुमार, एजुकेशन की सुधा गोयल, रशिका लोनकर दूसरी जगह हैं, पर इनकी पोस्टिंग दूसरे में कॉलेज में दिखाया जा रहा है।

सीनियॉरिटी लिस्ट में ये गड़बड़ी

एजुकेशन के शिक्षक असीम घटक की 3 साल पहले उनकी मृत्यु हो गई है, पर इनका नाम पीजीबीटी कॉलेज में।

टीएल पटेल का नाम ग्राम भारती कॉलेज हरदीबाजार में, जबकि एक साल पहले इनकी मृत्यु हो चुकी है।

रानी दत्ता का नाम डीएलएस बीएड में, जबकि से शासकीय स्कूल में पढ़ा रही हैं।

सेनापति नायक को डीपी विप्र बीएड कॉलेज में, ये सीयू से पीएचडी कर रहे हैं।

सुनील कुमार चतुर्वेदी का नाम हसदेव एजुकेशन कॉलेज कोरबा में, ये बिहार में प्राचार्य हैं।

पीजीबीटी से डॉ. उल्लास वारे व एस उषा मणि सेवानिवृत्त हो चुकी हैं, पर इनका नाम लिस्ट में है।

डॉ. आरके सक्सेना का नाम ईवीपीजी कॉलेज कोराब में, पर ये वालेंटरी रिटारयमेंट ले चुके हैं।

Back to top button